पौष महीने की पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य का विशेष महत्व: पंडित बनवारी लाल शर्मा

जयपुर, 25 जनवरी (हि.स.)। पौष महीने की आखिरी पूर्णिमा आज मनाई जा रही है। सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। साधु- संतो के लिए ये विशेष पर्व होता है। पूर्णिमा पर साधु-संत तीर्थ पवित्र नदियों में स्नान करते है। इनके साथ अन्य लोग भी नदियों में डूबकी लगाते है। मोक्ष की इच्छा रखने वाले इस दिन पवित्र सरोवर में स्नान कर के मोक्ष प्राप्ति की कामना करते है। पुराणों में इसका के लिए कहा गया है कि पौष महीने में दान-पुण्य करने व पवित्र सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति है और मरने के बाद मोक्ष मिलता है।

पुराणों के बताए अनुसार पूरे पौष महीने में भगवान का ध्यान करने से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। पूर्णिमा पर धार्मिक कार्य करने से पुण्य का पूरा फल मिलता है जो कभी समाप्त नहीं होता।

पंडित बनवारी लाल शर्मा के बताएं अनुसार पौष माह की पूर्णिमा के दिन हरिद्वार, प्रयाग राज में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को छेरता पर्व के रूप से जाना जाता है।

पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर किसी तीर्थ पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए अगर ये संभव नहीं होतो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। जिसके पश्चात पूजा-अर्चना कर व्रत करना चाहिए और दान का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद तिल, गुड और कंबल या गर्म कपड़ो का दान करना चाहिए।

हिंदुस्थान समाचार/ दिनेश

/ईश्वर

   

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