महाराज ने केंद्रीय वन मंत्री को पत्र लिखकर दिया सुझाव

देहरादून, 31 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के सुगम यातायात हेतु वांछित मोटर मार्गों के निर्माण में वन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बाधित रहने से हो रही समस्याओं को लेकर उसके निदान के लिए सुझाव दिये हैं ताकि प्रदेश में सड़कों के निर्माण में आने वाली बधाओं को दूर किया जा सके।

मंत्री सतपाल महाराज ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर कहा है कि उत्तराखंड राज्य में लगभग 80 फीसद भाग पहाड़ी क्षेत्र एवं 20 फीसद भाग मैदानी क्षेत्र है। इसमें से 70 फीसद भू-भाग वन आच्छादित है, जिस कारण पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के सुगम यातायात हेतु वांछित मोटर मार्गों के निर्माण में अधिकांशत: वन भूमि की आवश्यकता पड़ती है।

सतपाल महाराज ने कहा है कि अधिकांश मार्गों में एक हेक्टेयर से ज्यादा वन भूमि की आवश्यकता के कारण क्षतिपूर्ति पौधरोपण हेतु दोगुनी भूमि की आवश्यकता का प्रावधान है। वन भूमि के अलावा उपलब्ध राजस्व भूमि इस कार्य हेतु उपलब्ध कराई जाती है, किंतु वन विभाग द्वारा इसे क्षतिपूर्ति पौधरोपण हेतु उपयुक्त नहीं पाया जाता है, जिसका मुख्य कारण उपलब्ध भूमि का पहाड़ की भौगोलिक परिस्थिति में तीक्ष्ण ढाल, पथरीली भूमि एवं सघन वन क्षेत्र होना होता है। जिस कारण वन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बाधित रहती है।

उन्होंने सुझाव दिया है कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए क्षतिपूरक पौधरोपण हेतु दोगुनी भूमि के स्थान पर केंद्र की योजनाओं की भांति एक गुना भूमि का ही प्रावधान रखा जा सकता है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि उपयुक्त भूमि के राज्य में उपलब्धता की कमी के दृष्टिगत अन्य राज्यों में उपलब्ध लैंड बैंक को क्षतिपूरक पौधरोपण हेतु प्रयोग किये जाने के साथ-साथ राज्य हित में उनके सुझावों पर दिशा निर्देश जारी किये जाएं।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज

   

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