सड़क दुर्घटना में हुई थी सिद्धि फुटाणे की मौत,मरणोपरांत किया नेत्रदान

मुंबई,31 जनवरी (हि. स.)। पालघर जिले के विरार इलाके में बस टक्कर में जान गंवाने वाली सिद्धि फुटाणे ने मरणोपरांत नेत्रदान किया गया है। उनके माता-पिता ने दुख की घड़ी में भी समय के साथ इस सामाजिक परोपकार का परिचय दिया है। भले ही सिद्धि इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वह आंखों के रूप में जीवित रहेगी और नेत्रहीनों की जिंदगी में रोशनी बनेगी।सिद्धि फुटाणे (19) विरार के गोपाचपाड़ा में रहती थी।मंगलवार को नरसिम्हा गोविंद वर्तक स्कूल के छात्र भ्रमण पर जा रहे थे।सिद्धि का छोटा भाई ओम इसी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ता है।सिद्धि उसे छोड़ने स्कूल गयी थी। यात्रा के लिए कुल 11 स्कूल बसें रवाना हुई थीं।सिद्धि ने अपने भाई को बस में बिठाकर विदा किया।लेकिन बस क्रमांक (एमएच 47 एएस 3834) रिवर्स टर्न ले रही थी, तभी ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और सिद्धि को कुचल दिया।जिसमे वह गंभीर रूप से घायल हो गई उसे विरार के संजीवनी अस्पताल में भर्ती कराया,जहाँ वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।लड़की की दुघर्टना में मृत्यु से उसके माता-पिता पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा।लेकिन उस स्थिति में भी मां अश्विनी और पिता अनिल फुटाणे ने अपनी लाडली बेटी की आंखें दान करने का फैसला किया।इस कार्य में देह मुक्ति मिशन के पुरूषोत्तम पवार ने सहयोग किया।पोस्टमार्टम, पंचनामा और अन्य कानूनी कार्रवाई में समय निकल रहा था. लेकिन सिद्धि के भाई सचिन और उनके दोस्त साकिब शेख ने हर निर्देश का पालन किया और समय पर प्रक्रिया पूरी की और सिद्धि की दोनों आंखें दान कर दीं।भले ही सिद्धि इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वह दो नेत्रहीनों की जिंदगी में रोशनी देकर उनके रूप में दुनिया देखेगी।सिद्धि की स्कूली शिक्षा इसी स्कूल में हुई थी।वर्तमान में, वह कम्प्यूटेशनल साइंस के अंतिम वर्ष में पढ़ रही थी। उनकी मां एक गृहिणी हैं जबकि उनके पिता मुंबई पुलिस के शस्त्र विभाग में हेड कांस्टेबल के रूप में कार्यरत हैं। हालाँकि, विरार पुलिस द्वारा घटना की गहनता से जांच की जा रही है। पुलिस ने चालक के ऊपर धारा 304 (ए), 297, 337, 338 एवं मोटर यातायात अधिनियम की धारा 184 के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है।

हिंदुस्थान समाचार/

   

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