पूसीरे ने 40 ट्रेनों को आईसीएफ रेक से एलएचबी में बदला

Pusire converted 40 Scotia from Statistics Rake to LHB

गुवाहाटी, 31 जनवरी (हि.स.)। ट्रेन यात्रा को अधिक संरक्षा और सुरक्षित करने के अपने निरंतर प्रयास के तहत पूर्वोत्तर सीमा रेल (पूसीरे) ने ट्रेनों में अग्नि दुर्घटना को रोकने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत पहल किये हैं। भारतीय रेल की एक पहल के रूप में, पूसीरे ने अपने मार्गों पर चलने वाली ट्रेनों के आईसीएफ कोचों को लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोचों में बदला है, जो फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम (एफएसडीएस), फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम (एफडीएसएस) के साथ-साथ एस्पिरेशन टाइप स्मोक डिटेक्टर्स और एयरोसोल बेस्ड फायर डिटेक्शन सिस्टम जैसी उन्नत तकनीक से लैस हैं।

पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने आज बताया है कि 2023-24 के दौरान, महत्वपूर्ण मार्गों से होकर चलने वाली लंबी दूरी की 9 ट्रेनों को मौजूदा पारंपरिक रेकों से एलएचबी रेक में बदला गया। अब तक पूसीरे में चलने वाली कुल 40 ट्रेनों को आधुनिक एलएचबी रेकों में बदला गया है। एलएचबी रेक आधुनिक हाइड्रोलिक शॉक एब्जॉर्बर और उन्नत सस्पेंशन सिस्टम से लैस हैं, जो पारंपरिक रेकों की तुलना में यात्रियों के लिए अधिक आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करता है। एलएचबी कोच टक्कर-रोधी तकनीक की सुविधा के साथ निर्मित होते हैं, जिससे दुर्घटना के दौरान कम जानें जाती हैं। उच्च गति पर कुशल ब्रेकिंग के लिए प्रत्येक कोच में एडवांसड न्यूमेटिक डिस्क ब्रेक सिस्टम भी है।

इसके अलावा, पूसीरे ने फिलहाल एफएसडीएस और एफडीएसएस से लैस 825 एलएचबी एसी कोचों, 147 पावर कारों और 68 पेंट्री कारों को सेवा में रखा है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में 258 वातानुकूलित कोचों के शौचालयों में एस्पिरेशन टाइप स्मोक डिटेक्टर लगाए गए, जबकि 30 वातानुकूलित कोचों में एरोसोल बेस्ड फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाये गये। ट्रेनों में लगे फायर डिटेक्शन सिस्टम ट्रेन के कोचों की निगरानी करती है और किसी स्थान पर किसी भी प्रकार की अनुचित अग्नि दुर्घटना होने पर रोकथाम हेतु अलार्म बजने में मदद करते हैं। आग लगने की घटना का पता लगाने की प्रारंभिक और विश्वसनीय चेतावनी, खतरे और होने वाली क्षति को रोक सकती है और इस प्रकार जान और माल के नुकसान को कम कर सकती है, जो ट्रेन सेवाओं में व्यवधान का कारण बनती है।

रेल संरक्षा में सुधार एक सतत् प्रक्रिया है और इसमें सुधार करने के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। परिसम्पत्ति अनुरक्षण, प्रणालीगत त्रुटियों और संरक्षा प्रक्रिया में कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने और दुर्घटनाओं को रोकने के तरीके और साधन जुटाने की दृष्टि से रेल बुनियादी संरचना पर नियमित अंतराल पर संरक्षा ऑडिट एवं निरीक्षण किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों में संरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और परिसंपत्तियों के अनुरक्षण सहित संरक्षा पहलुओं को कारगर बनाने के लिए समय-समय पर आवधिक संरक्षा अभियान चलाए जाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीप्रकाश/अरविंद

   

सम्बंधित खबर