18वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस ''भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव'' का शुभारंभ

हल्द्वानी, 08 फ़रवरी (हि.स.)। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की दो दिवसीय 18वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस का उतराखण्ड मुक्त विशवविद्यालय हल्द्वानी में किया जा रहा है।

इस विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय ‘‘भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव‘‘ है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक समन्वय स्थापित करना है ताकि हम परम्पराओं को संयोजित करते हुए आधुनिकता की ओर अग्रसर हों।

पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड, भगत सिंह कोश्यारी उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि यह आयोजन विज्ञान और भारतीय परम्पराओं के बीच सामंजस्य का काम करेगा। पद्मश्री डा. अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति संरक्षण, इकोनॉमी और इकोलॉजी पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. सुरेखा डंगवाल ने नई शिक्षा नीति, स्थानीय भाषाओं का महत्व, वैदिक ज्ञान और वर्तमान समय में उसकी उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। इसके साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एजुकेटर कोन्कलेव, डायरेक्टर्स कॉन्क्लेव, भारतीय ज्ञान परम्परा पर मंथन सत्र, पारम्परिक ज्ञान और आध्यात्म पर विचार मंथन सत्र का भी आयोजन किया गया।

डा. दीपांकर बैनर्जी, निदेशक, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ने आदित्य एल वन मिशन और उससे जुड़ी तकनीकी और स्पेस वेदर तकनीक से जानकारी से सबको अवगत कराया। इस अवसर पर अभिनेता दिलीप ताहिल ने फिल्म इंडस्ट्री और अध्यात्म विषय पर एक व्याख्यान दिया।

प्रोफेसर दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकास्ट ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि यह कांग्रेस हमारे पारम्परिक और वैदिक ज्ञान को पहचान दिलाने का काम करेगी। उन्होंने कहा यह विज्ञान कांग्रेस भारतीय पारंपरिक ज्ञान को फिर से पुनर्जीवित और प्रदर्शित करने का भी एक प्रयास है।

इसके साथ ही विज्ञान कांग्रेस में कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान, गृह विज्ञान, भूविज्ञान, गणित, अभियांत्रिकी, भौतिकी, ग्रामीण विज्ञान, जीव विज्ञान आदि विषयों में उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी कॉलेजों में अध्ययनरत कार्यरत शोधार्थियों और युवा वैज्ञानिकों के शोध कार्यों पर भी तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के दौरान राज्य में स्थित केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न संस्थानों द्वारा उनके विशिष्ट कार्यों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। कार्यक्रम में राज्यभर से आए 400 से अधिक शोधार्थी, विभिन्न शिक्षण और शोध संस्थाओं के वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विशेषज्ञ शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/अनुपम गुप्ता/रामानुज

   

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