महर्षि दयानंद सरस्वती की वेद संस्कृति-आर्य समाज विचारधारा जन-जन तक पहुंचाए युवा: आचार्य देवव्रत

दयानंद सरस्वतीदयानंद सरस्वती

-टंकारा में 250 करोड़ की लागत से महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन दर्शन का स्मारक बनेगा

-टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती का 200वां जन्मोत्सव का राज्यपाल ने किया शुभारंभ

मोरबी, 10 फरवरी (हि.स.)। महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वां जन्मोत्सव-स्मरणोत्सव का तीन दिवसीय समारोह शनिवार से मोरबी जिले के टंकारा में शुरू हुआ। राज्यपाल आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया। आयोजन का आरंभ वैदिक संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ किया गया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि वे आज जो कुछ भी हैं, उसमें आर्य समाज और दयानंद सरस्वती के कार्य और उनके बताए मार्ग का बड़ा योगदान है। आर्य समाज और महर्षि के विचारों ने देशभक्ति, नशामुक्ति, शिक्षा सेवा के महान कार्य को कर देश के विकास में बड़ा योगदान दिया है। गुजरात के टंकारा की पवित्र भूमि पर जन्मे महर्षि दयानंद सरस्वती ने देश की प्रगति में अवरोध बने कई विचारों का विरोध किया था। नारी शिक्षा को प्रोत्साहित करने, सती प्रथा खत्म करने, अंधविश्वास दूर करने के लिए उन्होंने दुनिया के साथ लड़कर देश की दशा और दिशा बदली। महर्षि के विचारों को आज अधिक तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस अवसर पर राज्यपाल ने हर साल 1 करोड़ रुपये वेद विचारों को विश्व में फैलाने के कार्य के लिए देने की घोषणा की।

ढाई सौ करोड़ की लागत से आकार लेगा ज्ञान ज्योति तीर्थ

नई चेतना और नई ऊर्जा का बड़े केन्द्र और लोगों को नई दिशा देने वाले ज्ञान ज्योति तीर्थ टंकारा में 250 करोड़ रुपये के खर्च से बनाया जाएगा। इस स्मारक के पीछे स्थित डेमी नदी में दयानंदजी बचपन में मित्रों के साथ खेलते थे। इस डेमी नदी पर चेकडेम बनाकर नदी में साल भर पानी रहने की व्यवस्था की जाएगी।

इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी ने कहा कि डीएवी मैनेजमेंट कमेटी देश में 900 से अधिक शिक्षण संस्थानों का संचालन कर रही है। इन संस्थाओं द्वारा स्कूली शिक्षा, नर्सिंग, इंजीनियरिंग, आयुर्वेद, कानून, फिजियोथिरेपी समेत अन्य कॉलेज भी चलाए जा रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती और वेद के संदेशों को केन्द्र में रखकर चलने वाली इन संस्थाओं में 1 लाख से अधिक शिक्षक और कर्मचारी करीब 34 लाख विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रही है।

इस अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती के परिवार के वंशज पार्थ रावल का अभिवादन किया गया। आर्य समाज के अग्रणी सुरेशचन्द्र आर्य, विनय आर्य, प्रकाश आर्य, सुरेंद्र कुमार आर्य, धर्मपाल आर्य, डॉ. सुमेधाजी एवं आर्य समाज से जुड़े प्रांतीय महासभा के सदस्यों के साथ-साथ जिला कलक्टर किरण.बी. झवेरी, देश-विदेश से आए महर्षि के शिष्य और साधु-संन्यासी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/संजीव

   

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