आबकारी से राजस्व में 11 फीसद की वृद्धि का लक्ष्य

-जड़ी बूटियों और स्थानीय उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा, स्थानीय किसानों को मिलेगा लाभ

-पर्वतीय क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई स्थापना का प्रावधान

देहरादून, 14 फरवरी (हि.स.)। धामी सरकार ने राज्य की आबकारी नीति को और भी अधिक पारदर्शी बनाते हुए मिलावटी शराब को रोकने,पर्यटन प्रदेश होने के नाते ब्रांड उपलब्धता सुनिश्चित करने व राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024 के तहत अहम कदम उठाये हैं। अब वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 4440 करोड़ के साथ 11 फीसद वृद्धि का लक्ष्य दिया गया है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य 4000 करोड़ के सापेक्ष 11 फीसद की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए 4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उत्तराखंड में संचालित आसवानी में उच्च गुणवत्ता की मदिरा निर्माण होने से एक ओर राजस्व में वृद्धि होगी वही राज्य में प्रचुर मात्रा में उगने वाली वनस्पतियों, जड़ी बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों हेतु आय के नए साधन उत्पन्न होंगे और राज्य में निर्मित मदिरा को विश्वस्तर पर पहचान मिलेगी। राज्य की उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों और हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता के कारण उच्च गुणवत्ता के जल स्रोत व अन्य कारकों के कारण विश्वस्तरीय सुगंधित मदिरा के मदिरा/मॉल्ट के उत्पादन के हब के रूप में राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा। जिस प्रकार यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली आदि विश्वस्तरीय मदिरा के लिए प्रतिष्ठित है। उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में अतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगा।

विदेशी मदिरा की भराई (बॉटलिंग) के लिए आबकारी राजस्व एवं निवेश के दृष्टिगत प्रथम बार प्रावधान किए जा रहे हैं ताकि प्रदेश उपभोक्ता राज्य से उत्पादक एवं निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके। प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखण्ड राज्य के मूल/स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (आईएमएफएल) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन / व्यापार (एफएल-2) अनुज्ञापन को उत्तराखण्ड के अर्ह नागरिकों को देने का प्राविधान किया गया है।

आबकारी राजस्व अर्जन की दृष्टि से प्रथम बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक अनुज्ञापन एफएल-2(O) का प्रावधान किया गया है, जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा। राज्य की कृषि/बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती,तिमूर, आड़ आदि का समावेश किया जाना अनुमन्य किया गया है।

मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण,दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धांत पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा। नवीनीकरण उन्हीं अनुज्ञापियों का किया जाएगा, जिनकी समस्त व्यपगत देयताएं बेबाक हों और प्रतिभूतियां सुरक्षित हों। आवेदक को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य होगा। एक आवेदक सम्पूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकानें आवंटित की जा सकेंगी।

प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित दी जा सकेगी। देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत वी/वी तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत वी/वी तीव्रता की मसालेदार व सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्रावधान किए गए हैं।

विदेशी/देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10 फीसद तक अनुमन्य होगा। विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्राण्डों का मूल्य विगत वर्षों की भांति निर्धारित किया गया है, जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके।

प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन व स्थानीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदों में मॉल्स डिपार्टमेन्टल स्टोर में मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क. 05 लाख दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रविधान किया है। विगत वर्ष से भिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है। परपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने और ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने हेतु उप दुकान का प्रावधान किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/रामानुज

   

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