बनास डेरी की पहल : पूर्वांचल में होगी श्वेतक्रांति

—वैज्ञानिक पशुपालन से पूर्वांचल में आएगी समृद्धि

वाराणसी,15 फरवरी (हि.स.)। गुजरात के अर्ध शुष्क क्षेत्र बनासकांठा में पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर जो सफलताएं वहां के पशुपालकों को मिली है। उन्हीं तरीकों को उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में भी अमल करने की तैयारी है। इसके लिए पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों को बनासकांठा के पालनपुर में बुलाकर 6 दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया गया।

बनास डेरी अपने साथ जुड़े सभी 250 गांवों में कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाएं देने के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी कर रही है। वाराणसी और मिर्जापुर जिलों के आराजीलाइन, सेवापुरी और काशी विद्यापीठ ब्लॉक के 22 गांवों में 22 एआई कार्यकर्ताओं को चुना गया है। जिन्हें विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के बाद यह कर्मी दुधारू पशुओं के प्रारंभिक उपचार, टीकाकरण और कृमि मुक्ति कर जैसे उपचार आसानी से कर पाएंगे। इसके अलावा मोहनसराय में वेटरनरी सेवाएं भी शुरू की गई है। इस केंद्र से अब तक 400 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा चुका है । शीघ्र ही इस केंद्र से 1200 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा सकेगा। पशु चिकित्सा सेवाएं 241 गांवों में शुरू की गई है और यह पशु चिकित्सक प्रतिमास अपने निर्धारित गांवों का दौरा करेंगे और रूट सिस्टम के माध्यम से किसानों से भी जुड़े रहेंगे।

बनास डेरी के अफसरों के अनुसार किसानों के लिए जागरूकता अभियान और बैठकें भी आयोजित होगी। किसानों को पशुओं के लिए चारे की मात्रा, गुणवत्ता, चारे का प्रकार (हरा चारा और सूखा चारा) के बैलेंस का ज्ञान,पशु के दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का तरीका,निर्धारित टीकाकरण के साथ पशु रोग की रोकथाम का अभ्यास भी कराया जाएगा। दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार के लिए गिर गायों की सौगात भी दी गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण

   

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