शब्दों पर आयोजित संगोष्ठी में पढ़े 30 शोध-पत्र

-श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

-वक्ताओं ने शब्दों के महत्त्व और उनके परिवर्तन के तरीकों का किया विश्लेषण

नई टिहरी, 17 फरवरी (हि.स.) । केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में 30 शोध-पत्र पढ़े गये। देश के विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्वानों व शोधकर्ताओं ने भाषा में शब्दों के महत्त्व और उनके परिवर्तन के तरीकों का विश्लेषण किया।

शनिवार को श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। इस मौके पर 'लोक व्यवहार एवं संस्कृत शास्त्रों के अधिगम में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली की उपयोगिता' विषय की संगोष्ठी में दस विशिष्ट व्याख्यान हुए। प्रो.बनमाली बिश्वाल, प्रो.विजयपाल शास्त्री,प्रो.गिरीश नाथ झा,प्रो.बृजेशकुमार पांडेय,प्रो.नरेंद्रप्रताप सिंह,प्रो.राखी उपाध्याय आदि ने विशिष्ट व्याख्यानों में शब्द यात्रा की गहन समीक्षा की। जबकि डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल, डॉ.अरविंदसिंह गौर, डॉ.अनिल कुमार, डॉ.आशुतोष तिवारी, डॉ.संदीप भट्ट, डॉ.ज्योति शर्मा आदि ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये। समापन की मुख्य अतिथि प्रो. राखी उपाध्याय ने बताया कि, एक भाषा के शब्दों को दूसरी भाषा प्रभावित करती है।

शब्द हमेशा संदर्भ के आधार पर अर्थ देते हैं। सारस्वत अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वृत्त अधिष्ठाता व देवप्रयाग परिसर के पूर्व निदेशक प्रो.बनमाली बिश्वाल ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शब्दों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम संयोजक डॉ.सच्चिदानंद स्नेही ने संगोष्ठी के दो दिन का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया। इस मौके पर प्रो.चंद्रकला आर.कोंडी , डॉ.सूर्यमणि भंडारी,जनार्दन सुवेदी आदि इस मौके पर उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल//रामानुज

   

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