''बीहड़ सफारी'' के साथ चंबल साहित्य महोत्सव संपन्न, गुजरे ज़माने और भविष्य से रूबरू हुआ पंचनद का तट

औरैया, 18 फरवरी (हि. स.)। चंबल लिटरेरी फेस्टिवल (चंबल साहित्य महोत्सव) का समापन हो गया। 16 फरवरी से शुरू हुआ चंबल साहित्य महोत्सव तीन दिन चला. कई राज्यों से आये कवियों, साहित्यकारों, लेखकों, फिल्मकारों, अभिनेताओं और पत्रकारों, सामाजिक चिंतकों ने चंबल की तासीर को समझने की कोशिश की। आखिरी दिन हेरिटेज वाक (बीहड़ सफारी) कर ऊबड़ खाबड़ घाटी में कई किलोमीटर पैदल सफ़र कर चंबल की नब्ज़ को टटोला। इन तीन दिनों में हुए अलग अलग कार्यक्रमों में पंचनद का तट न सिर्फ गुजरे जमाने, बल्कि वर्तमान और भविष्य से भी रूबरू हुआ। बाहर से अतिथियों का पंचनद के किनारे ही पर्यटक टेंटों में रहने खाने का इंतेज़ाम किया गया।

- ऐसे रहे तीन दिन

चंबल साहित्य महोत्सव का आयोजन चंबल संग्रहालय और द ऐंट्स का संयुक्त तत्वावधान में हुआ. महोत्सव में ''चंबल के कल, आज और कल'' पर चर्चा हुई। किताबों के स्टॉल लगाये गए. साहित्य में बीहड़ और बीहड़ में साहित्य को लेकर चर्चा हुई।कई महत्त्वपूर्ण फिल्मों की स्क्रीनिंग और सांस्कृतिक संध्या के दौरान संगीत कार्यक्रम हुए. स्थानीय लोगों को चंबल से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में दिखाई गईं. हेरिटेज वाक भी हुई। मेहमानों ने चंबल को पीले सोने का देश बताया।

- बीहड़ सफारी का अद्भुत नजारा

आखिरी दिन चंबल संग्रहालय पंचनद से चंबल आश्रम बिलौड तक बीहड़ सफारी का अद्भुत नजारा मेहमानों ने देखा। बीहड़ सफारी के रास्ते सिरहन पैदा करने वाले थे। बीहड़ सफारी के रास्ते में चंबल अंचल की प्राकृतिक सम्पदा से अवगत कराया गया। दुर्लभ जड़ी बूटियों, बनस्पतियों, बीहड़ों के किस्से-कहानियों, क्रान्तिकारियों की पनाहगाह ने आकर्षित किया. प्राकृतिक और एतिहासिक धरोहरों से परिचित कराया गया। चौरैला और बिलौड के बीच बीहड़ सफारी के दुर्गम और सुनसान रास्तों में जहां लोग जाने से खौफ खाते थे। इस चहलकदमी से गुलजार हो गया।जगम्मनपुर फोर्ट की भी सैर की गयी।

- पर्यावरण के अनुकूल महोत्सव का मंच

चंबल साहित्य महोत्सव के संस्थापक दस्तावेजी लेखक डॉ शाह आलम राणा ने बताया कि महोत्सव का मंच पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया था। तीन दिवसीय चंबल साहित्य उत्सव को सफल बनाने में सौरभ अवस्थी, खालिद नाईक, अमित शर्मा, सूरज सिंह कुशवाहा, रुद्र प्रताप सिंह राठौर, अजय कुमार आदि का प्रमुख योगदान रहा.

- ये अतिथि रहे मौजूद

चंबल साहित्य महोत्सव में लेखक-फिल्मकार विद्या भूषण रावत, वरिष्ठ लेखक डॉ. रणधीर सिंह रूहल, कवि-संस्कृतिकर्मी राम जनम सिंह, साहित्यकर्मी डॉ. भगवान सिंह निरंजन, वरिष्ठ पत्रकार-फोटोग्राफर अनिल सिंदूर, क्रांतिकारी वंशज अजय पांडेय, वरिष्ठ फोटोग्राफर प्रवीण परिहार, सामाजिक कार्यकर्ता धीरज कुमार, कवि देवाशीष आर्य, एडवोकेट, इतिहासकार और शहीद वंशज देवेन्द्र सिंह चौहान, फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली, संस्कृतिकर्मी प्रोफेसर मो. नईम, सामाजिक कार्यकत्री रिहाना मंसूरी, चर्चित शायर शफीकुर्रहमान कश्फी आदि मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन

   

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