मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे रिंग रोड परियोजना के किसान

जयपुर, 25 फ़रवरी (हि.स.)। रिंग रोड निर्माण के लिए जमीन अवाप्ति के दौरान सरकार और प्रशासन ने किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे, लेकिन रिंग रोड पर यातायात संचालन के चार साल बाद भी किसान और भू आंवटी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। वर्तमान में एक बड़े एरिए में आबादी की बसावट हो चुकी है। खास तौर पर जोन-9 और 10 के हिस्से को मूलभूत सुविधाओं की सबसे ज्यादा जरुरत है। हालांकि जेडीए ने यहां पर रोड नेटवर्क तो तैयार कर दिया है, लेकिन वर्तमान में यहां पर सबसे ज्यादा जरुरत इलेक्ट्रिफिकेशन की है। इस कारण यहां पर रह रहे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जोन-10 के एक बड़े हिस्से में विद्युतीकरण काम किया जा चुका है, क्योंकि आगरा रोड से कनेक्ट होने के कारण यहां के लोगों के पास पहले से ही स्थायी कनेक्शन होने के साथ विद्युत तंत्र भी डवलप था।

कनेक्शन के लिए चुकाने पर पड़ एक लाख से ज्यादा की राशि

बिजली कनेक्शन को लेकर बिजली विभाग और जेडीए प्रशासन की खींचतान का नुकसान आमजन को भुगतना पड़ रहा है। आमजन कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग से सम्पर्क करते है तो विभाग कनेक्शन के लिए लाख रुपए से ज्यादा राशि मांगता है। इसके पीछे विभाग का तर्क है कि यहां पर बिजली कनेक्शन देने का काम जेडीए का है अगर वह नहीं देता है तो जेडीए तय विकास शुल्क राशि विभाग में जमा करवा दे तो किसानों को अतिरिक्त राशि नहीं चुकानी पड़ेगी।

रिंग रोड प्रोजेक्ट एक नजर

जेडीए ने रिंग रोड के लिए जमीन अवाप्ति की प्रक्रिया 2005 में शुरू की थी रिंग रोड के लिए 2014 में 47 किमी एरिए में बने आवास सहित अन्य स्ट्रक्चर हटाए गए थे। इसके बाद रिंग रोड निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई और 2019 में रिंग रोड पर यातायात शुरू किया गया। रिंग रोड पर बसावट होने लगी है। स्थानीय लोग और किसानों ने बिजली कनेक्शन के लिए कई बार जेडीए के चक्कर लगा चुके है। लेकिन सुनवाई नहीं होने पर मजबूरी में विद्युत विभाग से अस्थायी कनेक्शन लिए और महंगा बिजली का बिल चुका रहे है। अगर आमजन स्थायी कनेक्शन के लिए बिजली विभाग से सम्पर्क करता है तो किसानों से लाख से सवा लाख रुपए वसूले जा रहे है।

41 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया, लेकिन जेडीसी ने नहीं दी मंजूरी

लम्बे समय से चली आ रही मांग के बाद जेडीए अधिकारियों ने जोन-9 और 10 के बचे हिस्से के विद्युतीकरण के लिए जोन एक्सईएन ने 41 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया था, लेकिन इस प्रोजेक्ट को जेडीसी ने मंजूरी नहीं दी। पिछले कई सालों को यहां पर रह रहे किसान अंधेरे में दीपावली जैसे बड़े त्यौहार मनाने को मजबूर है।

इलेक्ट्रीफिकेशन पर खर्च होंगे करीब 200 करोड़

अगर जेडीए 47 किमी लम्बी रिंग रोड का इलेक्ट्रीफिकेशन करता है जो करीब 200 करोड रुपए से अधिक की राशि खर्च होंगी। इसमें 133 और 33 केवी के करीब दर्जन भर से अधिक सब स्टेशन के साथ लाइन बिछाने का भी काम होगा। इसके अलावा रोड लाइट लगाने के काम भी किए जाएंगे।

इस मामले जेडीए डायरेक्टर (इंजीनियरिंग) अजय गर्ग ने कहा कि रिंग रोड पर जोन-10 वाले बड़े एरिए में विद्युतीकरण किया जा चुका है। बाकी रिंग रोड के विद्युतीकरण के लिए योजना बनाई गई है। स्वीकृति मिलते ही इस पर काम किया जाएगा। बाकी सुविधाओं के डवलप का काम भी समय के साथ किया जाएगा।

बूरथल सरपंच सरिता मीणा ने बताया कि विधायक से लेकर जेडीए तक को कई बार मूलभूत सुविधाओं के विकास को लेकर पत्र लिखे जा चुके है, लेकिन अभी तक इस और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जो लोग यहां पर रह रहे उन्हें विद्युत कनेक्शन तक नहीं मिल पा रहे है। कुछ लोगों ने अस्थायी कनेक्शन लेकर अपना काम चला रहा है। जिन लोगों ने स्थाई कनेक्शन लिए है उनसे विद्युत विभाग ने एक मोटी राशि ली है।

सिरोली सरपंच रामलाल मीणा जेडीए रिंग रोड एरिए के डवलपमेंट पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में अपनी जमीन विकास के लिए सरकार को देने वाले किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है। सबसे पहली जरुरत यहां पर आमजन को बिजली कनेक्शन मिलें तो वे निर्माण कार्य करवाने के साथ अपना व्यवसाय और निवास कर सके।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश मीणा/ईश्वर

   

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