भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायकों को कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफे पर पुनर्विचार का किया आग्रह

-सदन में सहयोग विपक्ष की भी जिम्मेदारी

देहरादून, 25 फरवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस विधायकों का सदन कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। कांग्रेस से लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करने और सदन में सकारात्मक सहयोग का आग्रह किया है।

प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कार्यमंत्रणा समिति से कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए जनहित और जनमत का सम्मान सभी पक्षों के लिए जरूरी बताया। साथ ही सदन में स्वस्थ और श्रेष्ठ चर्चा में सहभागी बनकर देवभूमि का मान बढ़ाने का अनुरोध किया।

अध्यक्ष भट्ट ने 26 फरवरी (सोमवार) से प्रारंभ होने वाले बजट सत्र को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह सत्र आने वाले वर्ष में प्रदेश के विकास और जनता के कल्याण की क्या सूरत को निर्धारित करेगा। इस बजट की नीतियां उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनने के लक्ष्य को और करीब लाने वाली होंगी। लिहाजा विपक्ष के विधायकों को भी दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सदन में होने वाली चर्चा में सकारात्मक सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए भी विधानसभा सर्वोच्च सदन है जिसके लिए जनता ने उन्हें भी अपना मत दिया है। भाजपा उम्मीद करती है कि कांग्रेस के विधायक भी बजट और अन्य तमाम जनहित के विषयों पर खुले मन से चर्चा में भाग लेंगे।

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी समिति में तय बिजनेस के आधार पर सदन का कामकाज चलाया जाता रहा है, लेकिन अफसोस कांग्रेस हमेशा इस पर राजनीति करती आई है। वह बैठक में सदन के प्रस्तावित एजेंडे को सही जानकर हां करते हैं और सदन में पहुंचते ही राजनैतिक लाभ के लिए हंगामा करते हैं। कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा, लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है, जिस पर पुनर्विचार की जरूरत है।

उन्होंने बहुमत के आधार पर सदन चलाने के आरोपों पर पलटवार कहा कि जनता ने उन्हें चुनावों में नकारा है, जिसे स्वीकारा जाना चाहिए। लोकतंत्र में सदन के अंदर या बाहर सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन निर्णय तो बहुमत या सर्वसम्मति के आधार पर ही लिए जाते हैं। यह बेहद दुखद है कि 10 वर्षों में लगातार पराजय के बाद भी कांग्रेस पार्टी से सत्ता का अहंकार नहीं गया।

यही वजह है कि वे जनता जनार्दन के फैसलों को स्वीकार नही कर पा रही है। लिहाजा उन्हें उत्तराखंड में दोबारा जनता का मत जानने के लिए अभी 3 वर्ष और इंतजार करना चाहिए, लेकिन लोकसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा, नकली विधानसभा चलाना, पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रियाओं का अपमान है जिसे किसी भी तरीके जायज नहीं ठहराया जा सकता है। सदन के अंदर और बाहर लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखना,विपक्ष के विधायकों का भी दायित्व है।

उन्होंने विपक्षी विधायकों से अपील की कि राज्य हित में सर्वोच्च लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करते हुए सभी विधायक सदन में स्वास्थ्य और श्रेष्ठ चर्चा कर देवभूमि का मान बढ़ाएं।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/रामानुज

   

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