ओबीसी समाज की अनदेखी, नहीं मिल रहा उचित लाभ : विजय पाल

हरिद्वार, 02 मार्च (हि.स.)। प्रदेश की ओबीसी समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिलाने को लेकर अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने पत्र के माध्यम से एक ज्ञापन राज्यपाल को भेजा। इसमें संविधान में प्रदत ओबीसी के 27 प्रतिशत सरकारी योजनाओं में आरक्षण को प्रदेश सरकार ने घटाकर 14 प्रतिशत किया को कि पूरी तरह गलत व भेदभावपूर्ण है।

अखिल विश्व पाल क्षत्रिय महासभा के उपाध्यक्ष विजय सिंह पाल ने प्रेस क्लब हरिद्वार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि भारतीय संविधान द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी आबादी को 27 प्रतिशत सरकारी योजनाओं में आरक्षण निश्चित किया गया था, किन्तु राज्य के गठन के समय यह कहकर कि राज्य में इससे ज्यादा ओबीसी आबादी निवास नहीं करती है। इस आरक्षण को मात्र 14 फीसदी ही किया गया, जो कि पूर्णतया गलत व तर्कहीन है। जिस कारण आज तक ओबीसी समाज को राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका। साथ ही राज्य को आबंटित बजट में कोई भी योग्य राशि ओबीसी कल्याण में खर्च नहीं की गयी।

उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं में मूल ओबीसी की भागीदारी में भारी कटौती कर ओबीसी व ईडब्लयूएस आरक्षण का लाभ सवर्ण समाज को लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सवर्ण जातियों के व्यक्ति या तो ओबीसी का लाभ लें या ईडब्लयूएस का, उन्हें ये दोहरा लाभ देना मूल ओबीसी के हितों के खिलाफ एक षड्यंत्र है। जिसे तुरंत रोका जाना आवश्यक है।

मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर उन्होंने कहा कि मूल ओबीसी के व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र निर्गत करते समय मूल निवास अथवा स्थाई निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि वह भारत का नागरिक है और केंद्रीय सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए सदैव योग्य है। इसके साथ ही स्थाई निवास प्रमाण पत्र हेतु अभ्यर्थी का 15 वर्षों का निवास ही आवश्यक माना जा रहा है, जबकि कोई भी विदेशी अगर भारत में 6 वर्ष का निरंतर निवास करता है तो उसे भारतीय नागरिक होने का अधिकार दिया जाता है, तो ऐसे में राज्य में मूल निवास के लिए 15 वर्षों की अवधारणा को पूर्णतया समाप्त करके स्थाई निवास को ही मान्य किया जाये।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

सम्बंधित खबर