हेल्प इन सफ़रिंग के कैमल रेस्क्यू सेंटर की 13 वीं वर्षगांठ

जयपुर, 13 मार्च (हि.स.)। बस्सी में कैमल रेस्क्यू सेंटर (सीआरसी) ने बुधवार को अपनी 13वीं वर्षगांठ मनाई। हेल्प इन सफ़रिंग (एचआईएस) का यह प्रयास, जो 2011 में स्थापित किया गया था, ऊंटों को महत्वपूर्ण पशु चिकित्सा देखभाल, अभयारण्य प्रदान करने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और उनके समर्पित मालिकों के कल्याण को सुनिश्चित करता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2024 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ द कैमलिड्स के रूप में घोषित किया गया है। वहीं मानव आजीविका और ईकोसिस्टम सस्टेनेबिलिटी में इन प्राणियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, एचआईएस का कैमल वेलफेयर प्रोग्राम इसका एक प्रभावी उदाहरण है। उनका कैमल वेलफेयर प्रोग्राम प्रत्यक्ष हस्तक्षेप, सामुदायिक प्रशिक्षण, निवारक उपाय, बचाव व रिहैबिलिटेशन प्रयासों और मुफ्त उपचार शिविरों की मेजबानी करता है। कैमल वेलफेयर प्रोग्राम के माध्यम से प्रतिवर्ष 5000 से अधिक ऊंटों का इलाज किया जाता है, हेल्प इन सफ़रिंग (एचआईएस) इन महत्वपूर्ण प्राणियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस पहल के बारे में अधिक जानकारी साझा करते हुए, एचआईएस, मैनेजिंग ट्रस्टी, टिम्मी कुमार ने कहा “दूरदराज के इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं की सख्त जरूरत को समझते हुए, एचआईएस ने एक कैमल रेस्क्यू सेंटर बनाने का मिशन शुरू किया और वर्ष 2011 में, स्विट्जरलैंड के ईएलएसयू फाउंडेशन के सहयोग से, एचआईएस कैमल रेस्क्यू सेंटर (सीआरसी) जयपुर से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर बस्सी गांव में स्थापित हुआ। यह जयपुर का पहला विशिष्ट ऊंट उपचार केंद्र है, जो ऊंटों को व्यापक देखभाल प्रदान करने के लिए सुसज्जित है। यहां, ऊंटों को समर्पित रेजिडेंट पशुचिकित्सक और सहायक स्टाफ द्वारा पूर्ण देखभाल और उपचार मिलता है। सीआरसी टीम बस्सी के आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में ऊंट मालिकों को पशु चिकित्सा देखभाल और सलाह प्रदान करने के लिए एक मोबाइल क्लिनिक भी संचालित करती है।” इस अवसर पर कैमल रेस्क्यू सेंटर के प्रभारी, डॉ. जीतेन्द्र झिंगोनिया भी उपस्थित थे।

बस्सी कैमल रेस्क्यू सेंटर में 14 वर्षीय नेत्रहीन ऊंट रानू, जिसे उसके मालिक ने त्याग दिया था; रानी, जो कभी एक सर्कस स्टार थी, अब उस कैद से मुक्त हो गई है और ब्लैकी, शाहजहांपुर का एक 14 वर्षीय ऊंट, जिसे तस्करी के दौरान बचाया गया था, सहित कई अन्य ऊंटों की देखभाल की जा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/ इंदु/ईश्वर

   

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