आनुवंशिकी विज्ञान की नींव लगभग 150 साल पुराने वंशानुक्रम के सिद्धांतों पर : प्रो. कासिम

—जल्द ही इंसान के संपूर्ण जीनोम को सीक्वेंस करने में मात्र 100 अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा

वाराणसी,15 मार्च (हि.स.)। ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट जिसमें मानव जीनोम का पहली बार पता चला उसको पूर्ण करने में लगभग 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2 खरब रूपये) की लागत लगी। वर्ष 2007 में 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर (8 अरब रूपये) की लागत से एक व्यक्तिगत मानव के संपूर्ण जीनोम सीक्वेंस को पूरा किया गया। दस साल बाद, 1000 अमेरिकी डॉलर की लागत लगने लगी। जल्द ही, किसी भी इंसान के संपूर्ण जीनोम को सीक्वेंस करने में मात्र 100 अमेरिकी डॉलर (8 हज़ार रूपये) का खर्च आएगा, जिससे हम मानव विज्ञान को बेहतर तरीके से समझ सकते है। यह उद्गार मोनाश विश्वविद्यालय मलेशिया के जीनोमिक्स के डायरेक्टर प्रो. कासिम अयूब के हैं।

प्रो. अयूब शुक्रवार को बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में आयोजित सात दिवसीय अंतर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

प्रो. अयूब ने कहा कि जीन सिक्वेंसिंग से प्राप्त परिणामों की व्याख्या सबसे चुनौतीपूर्ण होगी। फिर भी, मानव के पास उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य की कुंजी होगी। यह प्रक्रिया लगातार सस्ती और बेहतर होती जा रही है। प्रोफेसर अयूब 1000 जीनोम प्रोजेक्ट और गोरिल्ला जीनोम प्रोजेक्ट के भी सहभागी है। उन्होंने बताया की आनुवंशिकी के विज्ञान की नींव लगभग 150 साल पुराने वंशानुक्रम के सिद्धांतों पर आधारित है। लगभग 100 साल बाद, इन सिद्धांतों के भौतिक आधारों को 1953 में वाटसन और क्रिक के प्रकाशित डीएनए मॉडल में व्यक्त किया गया था।

उन्होंने बताया कि आनुवंशिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम तकनीकी विकास के साथ आया, जिसने डीएनए के आधार पर संपूर्ण जीनोम का सिक्वेंसिंग हुआ और वर्तमान ओमिक्स क्रांति हुई। चंडीगढ़ से आये वैज्ञानिक डॉ विपिन सिंह ने आर प्रोग्रामिंग द्वारा शोधार्थियों को डाटा एनालिसिस सिखाया।

इसके पूर्व जंतु विज्ञान विभाग के कार्यकारी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एके सिंह ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन कर बताया कि भारत सरकार के अक्सिलेरेट विज्ञान परियोजना के तहत जंतु विज्ञान विभाग यह अन्तराष्ट्रीय वर्कशॉप और हैंड्स-ओन ट्रेनिंग नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग पर करा रहा है। इसमें एक सप्ताह की ट्रेनिंग के लिए देश भर से 208 प्रविष्टियां आई थी। जिनमें से 06 राज्यों से 25 शोधार्थियों का चयन किया गया है। कार्यशाला में संयोजक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे, प्रोफेसर मधु तापडिया, डॉ समीर गुप्ता, डॉ राहुल मिश्र, डॉ प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन

   

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