लोस चुनाव : रायबरेली में खिलेगा कमल या पंजा छोड़ेगा छाप!

लखनऊ, 14 मई (हि.स.)। रायबरेली सीट पूरे देश में सबसे चर्चित सीट मानी जाती है क्योंकि देश के सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग रायबरेली सीट ही है, यहां से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी संसद पहुंचे हैं। इसलिए इस सीट पर सबकी निगाहें रहती हैं। उप्र की संसदीय सीट संख्या 36 रायबरेली में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।

रायबरेली लोकसभा सीट का इतिहास

साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ जिलों को मिलाकर एक लोकसभा सीट थी। उस चुनाव में यहां से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीते थे। 1957 में रायबरेली सीट अस्तित्व में आई तो यहां से एक बार फिर फिरोज गांधी सांसद बने।

इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को संसद में पहुंचाने वाली इस सीट पर आज़ादी के बाद से अब तक 17 लोकसभा चुनाव और 3 बार उपचुनाव हो चुके हैं। जिसमें 17 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। जबकि एक बार जनता पार्टी और 2 बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनाव जीता है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अभी तक यहां इस सीट से खाता नहीं खुला।

कांग्रेस यहां इस कदर मजबूत हुई कि 1957 से अब तक मात्र तीन बार लोकसभा चुनावों में उसे यहां हार का सामना करना पड़ा है। सबसे चर्चित चुनाव 1977 का रहा, जब भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़े समाजवादी धड़े के नेता राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हरा दिया था। 1996 और 1998 के आम चुनाव में भाजपा के अशोक सिंह को दो बार विजयश्री मिली है।

सोनिया गांधी पहली बार रायबेरली से 2004 में चुनाव लड़ीं और तब से अब तक वह यहां की सांसद हैं। आमतौर पर बाकी पार्टियां कांग्रेस को इस सीट पर वॉकओवर देती आई हैं लेकिन 2019 में सोनिया के गांधी के ही खास सिपहसलार रहे दिनेश प्रताप सिंह ने ही पार्टी बदलकर भाजपा की टिकट पर सोनिया को चुनौती दी थी। राज्यसभा सांसद निर्वाचित हो चुकीं सोनिया गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगी।

पिछले दो चुनावों का हाल

17वीं लोकसभा के साल 2019 के चुनाव में रायबरेली सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को 534,918 (55.78%) वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह के खाते में 367,740 (38.35%) वोट आए। सोनिया गांधी ने 167,178 वोटों के अंतर से ये चुनाव जीता। साल 2014 के चुनाव के मुकाबले इस इस बार जीत का अंतर कम हुआ। वहीं भाजपा प्रत्याशी के वोट शेयर में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2019 के चुनाव में रायबरेली ही उप्र की ऐसी अकेली सीट थी जहां कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी।

बात 2014 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी ने भाजपा के अजय अग्रवाल को 352,713 वोटों से हराया था। सोनिया गांधी को 526,434 (63.80%) वोट मिले। वहीं भाजपा प्रत्याशी के खाते में 173,721 (21.05%) वोट आए।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

सपा-कांग्रेस गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह पर दांव लगाया है। बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को प्रत्याशी बनाया है।

रायबरेली सीट का जातीय समीकरण

रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में 19.11 लाख वोटर हैं। रायबरेली में ब्राह्मणों की आबादी 11 फीसदी, ठाकुरों की 9 फीसदी, यादव 7 फीसदी, एससी 34 फीसदी, मुस्लिम 6 फीसदी, लोध 6 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी और अन्य आबादी 23 फीसदी है। रायबरेली सीट पर पासी जाति का प्रभाव माना जाता है।

विधानसभा सीटों का हाल

रायबरेली लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार शामिल है। रायबरेली और ऊंचाहार सीट भाजपा के पास है, बाकी पर सपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां

पिछले चुनाव में अमेठी विजय के बाद से रायबरेली पर दृष्टि जमाए बैठी भाजपा भी अपनी तैयारियों में पीछे नहीं है। मगर गांधी परिवार की विरासत संजोए इस सीट का इतिहास तो कांग्रेस के साथ ही दिखाई देता है जिसे पलटना भाजपा के लिए चुनौती है। वैसे तो भाजपा के खाते में कई विकास के आंकड़े हैं, लेकिन राम मंदिर निर्माण को लेकर मतदाताओं में खासा उत्साह है। कांग्रेस रायबरेली के परिणाम का अर्थ जानती है। शायद यही वजह है कि भाजपा से निपटने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कमान संभाल ली है।

राजनीतिक विशलेषक सुशील शुक्ल के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट अमेठी हारने के साथ प्रदेश में सिर्फ रायबरेली तक सीमित रह गई कांग्रेस के लिए यह चुनाव में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई से कम नहीं। पिछली बार भले ही भाजपा के प्रत्याशी दिनेश सिंह हार गए हों, लेकिन जितने मत उनको मिले थे, उतने मत इसके पहले गांधी परिवार के विरोध में किसी प्रत्याशी को नहीं मिले थे। यहा मुकाबला दिलचस्प है, और नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं।

रायबरेली से कौन कब बना सांसद

1952 फ़िरोज़ गांधी (कांग्रेस)

1957 फिरोज गांधी (कांग्रेस)

1960 आरपी सिंह (कांग्रेस)

1962 बैजनाथ कुरील (कांग्रेस) उपचुनाव

1967 इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1971 इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1977 राज नारायण (कांग्रेस)

1980 इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1980 अरुण नेहरू (कांग्रेस) उपचुनाव

1984 अरुण नेहरू (कांग्रेस)

1989 शीला कौल (कांग्रेस)

1991 शीला कौल (कांग्रेस)

1996 अशोक सिंह (भाजपा)

1998 अशोक सिंह (भाजपा)

1999 सतीश शर्मा (कांग्रेस)

2004 सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2006 सोनिया गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव

2009 सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2014 सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2019 सोनिया गांधी (कांग्रेस)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित

   

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