मुस्लिम महिलाओं ने गुलाल लगाकर दिया मोहब्बत का संदेश,होली प्रत्येक भारतीय का त्योहार

वाराणसी,24 मार्च (हि.स.)। चुनावी रंग में सब रंगने लगे हैं और नफरत की खाई भी बढ़ने लगी है। ऐसे में लोगों के दिलों को जोड़ने और नफरत की खाई पाटने के लिए मुस्लिम महिलाओं ने होली की पूर्व संध्या पर शनिवार को मोहब्बत और यकजहती का संदेश दिया। मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम महिलाओं का होली मिलन कार्यक्रम लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित किया गया। चेहरे पर गुलाल लगा ढोल की थाप पर होली का गीत गा रही मुस्लिम महिलाओं ने धर्म के नाम पर फैलाई जा रही नफरत को अस्वीकार कर दिया। होली पर सबको एक रहने का पाठ पढ़ाया। मुस्लिम महिलाओं ने गीत गाये ‘हमहू अयोध्या जाईब, रामलला के रंग लगाइब। देशवा विदेशवा क लोगवा अइहे, होली में सब पर रंगवा फेकइहे। कोई न बच पाई हो रामा, हमहू तोके रंग लगाइब हो रामा। कोई न बच पाई हो रामा, हमहू तोके रंग लगाइब हो रामा।’ इस अवसर पर फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि हमारे पूर्वजों के खून में होली का रंग भी है शामिल, कोई इसे कैसे अलग कर सकता है। किसी कट्टरपंथी की धमकी से हम होली खेलना बन्द नहीं करेंगे। यह भारत का त्योहार है। हमारे पूर्वजों ने होली के बहाने मिलन का अवसर दिया है, इसे हम कैसे छोड़ दें। हिन्दू मुस्लिम संवाद केन्द्र की चेयरपर्सन डॉ. नजमा परवीन ने कहा कि खून की होली खेलने वालों के लिए यह खुली चुनौती है, हम न अपने पूर्वजों को छोड़ेंगे और न उनकी परम्पराओं को। होली हमारी संस्कृति का हिस्सा है। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव ने कहा कि पूर्वजों और परम्पराओं ने हिन्दू मुसलमानों को एक कर दिया है। हम प्रेम, शांति, सद्भावना के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। दिलों को जोड़कर समाज को रिश्तों में बांधा जा सकता है। त्योहार तो सम्बन्धों को मजबूत बनाते हैं। संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अर्चना भारतवंशी ने कहा कि एकता और शांति का पाठ पढ़ने के लिए दुनिया को होली का त्योहार मनाना चाहिए। इस अवसर पर विश्व के पहले अनाज बैंक द्वारा 300 परिवार की महिलाओं को होली की त्योहारी के रूप में अनाज की पोटली वितरित की गई।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

   

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