कहीं सामाजिक कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन तो कहीं लोग नंगे पांव अंगारों पर चलते नजर आये

कहीं सामाजिक कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन तो कहीं लोग नंगे पांव अंगारों पर चलते नजर आये जशपुर में होली मिलन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री रायपुर। होलिका दहन के अवसर पर छत्तीसगढ़ के अलग -अलग हिस्सों में अलग अलग उद्देश्यों को लेकर बीती रात होलिका दहन किया गया । राजधानी रायपुर में हर साल की तरह इस साल भी अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा विभिन्न अंधविश्वासों  , भूत प्रेत, टोनही प्रताडना, झाड़ फूंक, बलि प्रथा, नरबलि, जादू टोना,डायन प्रताडना, छुआछूत, दहेज प्रथा, सती प्रथा, मद्यपान, सामाजिक बहिष्कार आदि कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन किया गया ।वहीं गरियाबंद और सरगुजा में लोग नंगे पांव अंगारों पर चलते नजर आये। लोग होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर नंगे पांव चलते नजर आए। रायपुर शहर के नगर घड़ी चौक स्थित महाकोशल कला वीथिका परिसर में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र, डॉ प्रवीण शर्मा,डॉ शैलेश जाधव, उमेश मिश्र,ज्ञानचंद विश्वकर्मा, गोपाल उरकुरकर, कमलेश गोगिया, नरेश दिक्सित, सुनील तिवारी राजीव पांडे, सिद्धांत, शिखर शर्मा, सामवेद शर्मा, प्रमोद शर्मा, डॉ प्रांजल मिश्र, कुंजकिहारी शर्मा,अजय मिश्र, घनश्याम शर्मा, मलकीत सिंह सहित अनेक नागरिक कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन करते नजर आए उपस्थित रहे। जशपुर के टिकैतगंज स्थित करमटोली के सरना निवास में आयोजित होली मिलन समारोह कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए ।मुख्यमंत्री साय ने यहां कार्यकर्ताओं को होली के पावन पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुवे राज्य के विकास सुख शांति और समृद्धि का कामना किया।कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रंग गुलाल उड़ा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों संग होली खेला,वहीं पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को रंग गुलाल लगाकर होली खेला।महासमुंद में  मतदाताओं को वोट के बदले दिए जाने वाले विभिन्न प्रलोभान से दूर रहने के लिए जिले में होली की पूर्व संध्या (होलिका दहन) पर प्रलोभन दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में शहर के आम नागरिकों समेत शासकीय अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। प्रलोभन दहन कार्यक्रम का आयोजन मतदाता जागरूकता कार्यक्रम स्वीप के तहत कलेक्टर प्रभात मलिक के मार्गदर्शन में कलेक्टर परिसर में किया गया। इस दौरान खासकर पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले युवाओं को बताया गया की निष्पक्ष मतदान के लिए मतदान के दौरान किसी भी तरह के प्रलोभनों से दूर रहना आवश्यक है।छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक गांव कोठीगांव में लोग होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर नंगे पांव चलते नजर आए। होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर ग्रामीणों के नंगे पांव चलने का ये रिवाज पूर्वज काल से चला आ रहा है।लोगों का मानना है कि होलिका दहन के बाद बने अंगार पर चलने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। लोगों की इस बात पर बहुत आस्था है कि इस परंपरा को मानने से गांव में न तो अशांति आती है और न ही गांव में किसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप होता है।लोगों ने होलिका दहन के पहले गांव की देवी माता डोकरीबूढ़ी को याद किया। सबसे पहले पुजारी ने जलते हुए अंगार को नंगे पांव पार किया। इसके बाद अन्य ग्रामीण नंगे पांव गांव की देवी का नाम लेते हुए इसे पार किया गया।होलिका दहन में लकड़ियों और कंडे का इस्तेमाल किया जाता है। सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम करजी में नंगे पांव दहकते अंगारों में चलने की परंपरा सालों से चली आ रही है। होलिका दहन की रात गांव के लोग सैंकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए और  परंपरा के अनुसार होलिका गीत गाया। गांव का बैगा विधि विधान से होलिका दहन करता है। जिसके बाद होलिका दहन शुरू होते ही दहकते अंगारों पर नंगे पांव लोग चलने लगते है।आस्था और परंपरा है कि धड़कते अंगारों में नंगे पांव चलने वाले लोगों के जीवन की दुख और तकलीफ का नाश होता है। सालों से चली आ रही इस परंपरा को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।लोगों का मानना है कि इस परंपरा में न तो अंगारों में चलने वाले व्यक्ति का पैर जलता है और ना ही कभी कोई दुर्घटना हुई है। हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा 

रायपुर, 25 मार्च (हि.स.)।होलिका दहन के अवसर पर छत्तीसगढ़ के अलग -अलग हिस्सों में अलग अलग उद्देश्यों को लेकर बीती रात होलिका दहन किया गया । राजधानी रायपुर में हर साल की तरह इस साल भी अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा विभिन्न अंधविश्वासों , भूत प्रेत, टोनही प्रताडना, झाड़ फूंक, बलि प्रथा, नरबलि, जादू टोना,डायन प्रताडना, छुआछूत, दहेज प्रथा, सती प्रथा, मद्यपान, सामाजिक बहिष्कार आदि कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन किया गया ।वहीं गरियाबंद और सरगुजा में लोग नंगे पांव अंगारों पर चलते नजर आये। लोग होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर नंगे पांव चलते नजर आए।

रायपुर शहर के नगर घड़ी चौक स्थित महाकोशल कला वीथिका परिसर में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र, डॉ प्रवीण शर्मा,डॉ शैलेश जाधव, उमेश मिश्र,ज्ञानचंद विश्वकर्मा, गोपाल उरकुरकर, कमलेश गोगिया, नरेश दिक्सित, सुनील तिवारी राजीव पांडे, सिद्धांत, शिखर शर्मा, सामवेद शर्मा, प्रमोद शर्मा, डॉ प्रांजल मिश्र, कुंजकिहारी शर्मा,अजय मिश्र, घनश्याम शर्मा, मलकीत सिंह सहित अनेक नागरिक कुरीतियों का प्रतीकात्मक दहन करते नजर आए उपस्थित रहे।

जशपुर के टिकैतगंज स्थित करमटोली के सरना निवास में आयोजित होली मिलन समारोह कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए ।मुख्यमंत्री साय ने यहां कार्यकर्ताओं को होली के पावन पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुवे राज्य के विकास सुख शांति और समृद्धि का कामना किया।कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रंग गुलाल उड़ा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों संग होली खेला,वहीं पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को रंग गुलाल लगाकर होली खेला।महासमुंद में मतदाताओं को वोट के बदले दिए जाने वाले विभिन्न प्रलोभान से दूर रहने के लिए जिले में होली की पूर्व संध्या (होलिका दहन) पर प्रलोभन दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में शहर के आम नागरिकों समेत शासकीय अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए।

प्रलोभन दहन कार्यक्रम का आयोजन मतदाता जागरूकता कार्यक्रम स्वीप के तहत कलेक्टर प्रभात मलिक के मार्गदर्शन में कलेक्टर परिसर में किया गया। इस दौरान खासकर पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले युवाओं को बताया गया की निष्पक्ष मतदान के लिए मतदान के दौरान किसी भी तरह के प्रलोभनों से दूर रहना आवश्यक है।

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक गांव कोठीगांव में लोग होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर नंगे पांव चलते नजर आए। होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर ग्रामीणों के नंगे पांव चलने का ये रिवाज पूर्वज काल से चला आ रहा है।लोगों का मानना है कि होलिका दहन के बाद बने अंगार पर चलने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। लोगों की इस बात पर बहुत आस्था है कि इस परंपरा को मानने से गांव में न तो अशांति आती है और न ही गांव में किसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप होता है।लोगों ने होलिका दहन के पहले गांव की देवी माता डोकरीबूढ़ी को याद किया। सबसे पहले पुजारी ने जलते हुए अंगार को नंगे पांव पार किया। इसके बाद अन्य ग्रामीण नंगे पांव गांव की देवी का नाम लेते हुए इसे पार किया गया।होलिका दहन में लकड़ियों और कंडे का इस्तेमाल किया जाता है।

सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम करजी में नंगे पांव दहकते अंगारों में चलने की परंपरा सालों से चली आ रही है। होलिका दहन की रात गांव के लोग सैंकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए और परंपरा के अनुसार होलिका गीत गाया। गांव का बैगा विधि विधान से होलिका दहन करता है। जिसके बाद होलिका दहन शुरू होते ही दहकते अंगारों पर नंगे पांव लोग चलने लगते है।आस्था और परंपरा है कि धड़कते अंगारों में नंगे पांव चलने वाले लोगों के जीवन की दुख और तकलीफ का नाश होता है। सालों से चली आ रही इस परंपरा को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

लोगों का मानना है कि इस परंपरा में न तो अंगारों में चलने वाले व्यक्ति का पैर जलता है और ना ही कभी कोई दुर्घटना हुई है।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा

   

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