सीयूजे में एक दिवसीय जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य विचारगोष्ठी का किया आयोजन

जम्मू, 28 मार्च (हि.स.)। जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान एवं भारतीय शिक्षा समिति ने जगद्गुरु श्री शंकराचार्य जी का भाषा, संस्कृति एवं राष्टीय एकता में योगदान पर एक दिवसीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में अटल पीठाधीश्वर अनन्त विभूषित आचार्य महामंडलेश्वर राजगुरु श्री स्वामी विशवात्मानन्द सरस्वती जी महाराज, शम्बू पंचायती अखाडा, परषोतम दधीचि, अध्यक्ष, सनातन धर्म सभा जम्मू कश्मीर ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो संजीव जैन की उपस्थति में किया गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अदि शंकराचार्य जी के दर्शन के सार्थक प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि उनका दर्शन और जीवन का सार हम सब को मार्गदर्शन दे सकता है।

कार्यक्रम में महामंडलेश्वर राजगुरु श्री स्वामी विशवात्मानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने संबोधन में आदि शंकराचार्य का भारत की भौगोलिक, संस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता में योगदान को भी याद किया और उन के प्रयासों को आगे ले जाने के लिए युवा पीढ़ी को भी चिंतन और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में इस विषय पर भी प्रकाश डाला कि आदि शंकराचार्य जी के आद्वैत वेदांत में गहरे अन्वेषणों के माध्यम से, उनकी गहरी अन्वेषणात्मक विचार विद्वानों को प्रेरित करते हैं, जो भारतीय संस्कृति को परिभाषित करने वाले विविधता में एकता के मौलिक सिद्धांतों को सिद्ध करती है।

परषोतम दधीचि ने भी आदि शंकराचार्य जी के दार्शनिक विचारों एवं उपदेश को साझा किया। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य जी की साहित्यिक विरासत उतनी ही अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उनके उपनिषदों, भगवद्गीता, और ब्रह्म सूत्रों पर गहरे टिप्पणियाँ वेदांतिक परंपरा के अविनाशी ज्ञान को स्पष्ट करती हैं, जो भारतीय विचार और संस्कृति को आकार देने वाले दार्शनिक ढांचे को प्रदान करती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

   

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