विद्या भारती का गठन एक विशिष्ट उद्देश्य को लेकर हुआ : हेमचन्द्र

--त्रिदवसीय प्रान्तीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना बैठक का शुभारम्भ

प्रयागराज, 05 अप्रैल (हि.स.)। विद्या भारती का गठन एक विशिष्ट उद्देश्य को लेकर हुआ है। जिसका एक लक्ष्य है, जिसे हम सभी नित्य दोहराते हैं। विद्या भारती में प्रबन्ध समिति, अभिभावक, आचार्य, प्रधानाचार्य सभी के कुछ निश्चित दायित्व होते हैं। 1952 में नानाजी देशमुख, रज्जू भैया आदि के सहयोग से सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना हुई। जो भारतीय सांस्कृतिक एवं संस्कारयुक्त शिक्षा के लिए हुई थी।

उक्त विचार मुख्य अतिथि क्षेत्रीय संगठन मंत्री, विद्या भारती पूर्वी उप्र हेमचन्द्र ने प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित सिविल लाइन स्थित ज्वाला देवी स.वि.इं कालेज में त्रिदिवसीय प्रान्तीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना बैठक में प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया।

प्रांतीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना का शुक्रवार को शुभारम्भ करने के उपरान्त उन्होंने आगे कहा कि प्रधानाचार्य के लिए कुछ विशेष कर्तव्य होते हैं, जिसकी पूर्ति करना अति आवश्यक होता है। विद्यालय में शिक्षण पद्धति की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए समय-समय पर आचार्य प्रशिक्षण संकुल स्तरीय एवं प्रान्त स्तरीय पर कराते रहना चाहिये तथा विद्यालय में शिक्षण के विभिन्न संस्थानों को निरन्तर विकसित करते रहना चाहिए। जिसके माध्यम से विद्यालय उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त करता है। सक्षम विद्यालय कमजोर विद्यालय को गोद लेकर उसका उत्तरोत्तर विकास करने का प्रयास करें। प्रत्येक प्रधानाचार्य को अपने विद्यालय के शिक्षा प्रणाली में पांच आधारभूत विषयों का क्रियान्वयन करना चाहिए।

क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि भारत फिर से विश्वगुरु बने, उसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत समाहित राष्ट्र निर्माण (भूमि, जन एवं संस्कृति) के प्रति सम्मान एवं सच्ची श्रद्धा का भाव होगा। उन्होंने समस्त प्रधानाचार्यों से कहा कि हम सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जानकारी होनी चाहिए जिससे हम अपने विद्यालयों में इसी के अनुसार अपने भैया-बहनों को शिक्षा देकर एक आत्मनिर्भर बना सकें।

इसके पूर्व प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने अतिथियों का परिचय कराया तत्पश्चात् अतिथियों का सम्मान अंगवस्त्रम, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर किया। विद्यालय अध्यक्ष च्यवन भार्गव ने बताया कि अनेक विषम परिस्थितियों में भी अपने कठिन परिश्रम एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के माध्यम से हम सभी निरन्तर अपने भैया बहिनों एवं अभिभावकों से जुड़े रहें। इस क्रिया को हमें निरन्तर आगे बढ़ाते रहना होगा तथा विद्यालय के प्रत्येक गतिविधि को गतिशील रखना होगा। जिससे विद्यालय नित्य नूतन ऊचाईयों को स्पर्श करता रहे।

इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में 11 सत्र निर्धारित किये गये जिसमें से प्रातःकालीन जागरण से लेकर रात्रि शयन तक विभिन्न आयामों के द्वारा प्रधानाचार्यों को विद्यालय प्रगति सम्बन्धी विभिन्न जानकारी दी जायेगी। इसमें अलग-अलग पदाधिकारियों, विषय विशेषज्ञों द्वारा विषयों का प्रतिपादन किया जायेगा। आज कुल चार सत्रों में प्रधानाचार्य बैठक के प्रथम दिन का क्रियान्वयन हुआ।

उद्घाटन सत्र में प्रान्त संगठन मंत्री डॉ राम मनोहर, संभाग निरीक्षक गोपालजी तिवारी, सुमन्त पाण्डेय, जंगदीश सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। बैठक में काशी प्रान्त के विभिन्न विद्यालयों के लगभग 103 प्रधानाचार्यों ने सहभाग किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

   

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