जगदलपुर : 10 साल पहले आज ही के दिन ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद हुए थे 76 जवान

जगदलपुर, 06 अप्रैल (हि.स.)। आज से ठीक दस साल पहले देश का सबसे बड़ा नक्सल हमला सुकमा जिले के ताड़मेटला में हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ की पूरी कंपनी पर हमला किया और जवानों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। इस हमले में पूरी कंपनी ही खत्म हो गई थी।

यह दिन भारतीय इतिहास का वो काला दिन है, जिसकी खबर से 06 अप्रैल 2010 को पूरा भारत सहम गया था। ताड़मेटला में नक्सलियों ने जवानों के 80 हथियार भी लूट लिए थे। ताड़मेटला की घटना में बस्तर और आंध्रप्रदेश के कुख्यात नक्सलियों का नाम सामने आया। इनमें रमन्ना, कोसा और हिडमा शामिल थे। वारदात के बाद कई दिनों तक नक्सली घटना स्थल के कुछ किलो मीटर की दूरी पर ही कैंप लगाकर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने मीडिया को बुलाकर सीआरपीएफ के जवानों से लूटे गए करीब 80 हथियारों की प्रदर्शनी लगाकर दिखाया था। यह देश के इतिहास में किसी केंद्रीय अर्ध सैनिक बल को लगा सबसे बड़ा झटका था। एक साथ इतनी कैजुअल्टी सीमा पर तैनात अर्ध सैनिक बलों को भी इससे पहले नहीं उठानी पड़ी थी।

नक्सलियों ने सीआरपीएफ की पूरी कंपनी को चारों तरफ से घेर कर गोलियों की बौछार कर दी थी। इतना ही नहीं जो जवान गोली लगने से घायल हुए थे या उनकी थोड़ी-बहुत सांस चल रही थी, ऐसे जवानों के सिर पर कुल्हाड़ी मारकर नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी। जवान जब शहीद हो गए तो नक्सली उनके शवों की जांच करने लगे और उनके हथियार, वर्दी और पैसों के साथ ही जूता-मोजा सहित अन्य समान भी ले गए। इस घटना के बाद बस्तर के साथ ही पूरे देश में नक्सली मोर्चे पर बड़ा बदलाव हुआ। केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि नक्सली केवल राज्य की कानून-व्यवस्था का विषय नहीं है, बल्कि देश की एकता और अखंडता के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

उल्लेखनीय है कि इस घटना के 02 वर्ष बाद 2012 में अलग सुकमा जिला बना, तब एलेक्स पाल मेनन वहां के कलेक्टर बनाए गए। अंदरुनी क्षेत्र के दौरे पर निकले कलेक्टर मेनन को नक्सली अगवा करके ले गए। इस दौरान नक्सलियों ने मेनन के सुरक्षा गार्ड को गोली मार दी थी। मेनन को नक्सलियों ने ताड़मेटला क्षेत्र में ही रखा था। आज बदले हुए हालात में नक्सली कमजोर पड़ चुके हैं, अब जवान नहीं मारे जाते अपितु नक्सलियों की मांद में घुसकर नक्सलियों का सफाया कर रहे हैं, जिस गति से इन दिनों नक्सलियों के विरुद्ध अभियान जारी है, यदि ऐसा ही चलता रहा तो बस्तर जल्द ही नक्सल मुक्त होता हम सब देख सकेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

   

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