लोस चुनाव : रायबरेली और अमेठी पर कांग्रेस का संशय बरकार

लखनऊ, 09 अप्रैल (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली और अमेठी पर ही उलझी हुई है। इन दोनों पर अब पहले चरण के चुनाव के बाद ही उम्मीदवार घोषित होने की उम्मीद जतायी जा रही है। रायबरेली और अमेठी सीट पर अब भी संशय बना हुआ है। उधर रायबरेली के लिए भाजपा भी निगाहें गड़ाकर बैठी हुई है। वह कांग्रेस के उम्मीदवार का इंतजार कर रही है।

भाजपा इस बार रायबरेली और गाजीपुर की सीट को जीतने के लिए ज्यादा जोर दे रही है। इसी कारण वह रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवार के घोषणा का इंतजार कर रही है। इधर सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी उप्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए आ सकती हैं। उनके लिए सिर्फ घरेलू मुद्दा प्रभावी हो जा रहा है। सोनिया गांधी नहीं चाहतीं कि राहुल गांधी के राह में कोई परिवार का सदस्य कांटा बने। इस कारण वे प्रियंका गांधी को आगे नहीं करना चाहती।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यदि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ती हैं तो मनोवैज्ञानिक रूप से गांधी परिवार की विरासत के रूप में वे आगे आ सकती हैं। यह डर सोनिया गांधी को सता रहा है। सोनिया गांधी चाहती हैं कि राहुल गांधी के पास ही विरासत रहे और वही भविष्य में भी पार्टी को संभालने का काम करें, लेकिन राहुल गांधी का उप्र से मोह भंग हो गया है। वे यहां से लड़ना नहीं चाहते।

उधर भाजपा गाजीपुर और रायबरेली को जीतने के लिए ज्यादा फोकस कर रही है, क्योंकि अमेठी पहले से जीत चुकी भाजपा यदि रायबरेली को जीत लेती है तो यह माना जाएगा कि उप्र से अंतिम किला भी ढह गया। उधर पिछली बार गाजीपुर की सीट हार चुकी भाजपा के लिए वह भी इस बार जीतने की चुनौती है। गाजीपुर के कारण ही बलिया की सीट भी अभी होल्ड पर है, क्योंकि गाजीपुर के अनुसार ही बलिया के सीट पर भी जातिगत समीकरण बैठाया जाता है।

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार अब वायनाड सीट के चुनाव के बाद ही रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होंगे, क्योंकि अभी राहुल गांधी वायनाड सहित पहले चरण के चुनाव में काफी व्यस्त हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश

   

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