भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना में डॉ. बीबी अग्रवाल कर रहे भगीरथ प्रयास

--लोगों में आध्यात्मिक चेतना का प्रवाह कर रहे डॉ. अग्रवाल : शंकराचार्य

--उद्घोष कार्यक्रम को पूरे देश में मिल रहा समर्थन

प्रयागराज, 10 अप्रैल (हि.स.)। हिन्दुओं के नव वर्ष यानी नव सम्वत्सर पर प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रम उद्घोष 2081 को अब पूरे देश में व्यापक समर्थन मिल रहा है। धर्म एवं संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे लोगों का मानना है कि सृजन जन सेवा समिति प्रयागराज के सचिव डॉ. बीबी अग्रवाल उद्घोष 2081 के माध्यम से गौरवशाली भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे हैं।

नव सम्वत्सर का प्रथम दिन देशवासियों के लिए इसलिए भी गौरव का क्षण था कि जिस समय लोग हनुमत निकेतन में भगवान भाष्कर की प्रथम रश्मि का शंखनाद एवं घंटा-घड़ियाल की तुमुल ध्वनि के साथ स्वागत कर रहे थे। उसी समय दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश के कड़प्पा स्थित चिन्मय श्रीविद्याश्रम में भी लोग ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की उपस्थिति में हिन्दू नव सम्वत्सर के स्वागत उत्सव में लीन थे।

डॉ. बी.बी अग्रवाल ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि देश के इन दोनों स्थानों पर उद्घोष 2081 कार्यक्रम में विशिष्ट साधु-संतों के साथ ही समाज के सभी वर्ग के लोगों की व्यापक भागीदारी रही। प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम को कड़प्पा से वर्चुअली सम्बोधित करते हुए शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि उद्घोष कार्यक्रम आम लोगों के लिए प्रेरणादायक है। इसके माध्यम से डॉ. बीबी अग्रवाल लोगों के अंतस में आध्यात्मिक चेतना का प्रवाह कर रहे हैं।

अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव दंडी स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिरों के निर्माण से आध्यात्मिकता के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान एवं न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह के आयोजन से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हैं। डॉ. अग्रवाल न सिर्फ चिकित्सा के माध्यम से लोगों की सेवा कर रहे हैं अपितु धर्म एवं अध्यात्म के प्रति भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वहीं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य डॉ सविता अग्रवाल ने कहा कि भूमंडल की ऊर्जा का स्रोत भगवान भाष्कर हैं। हम सबके जीवन में उजाला रहे, यही कामना है।

वहीं सृजन जन सेवा समिति के सचिव डॉ. बीबी अग्रवाल ने कहा कि हमें उन संस्कारों को अपने भीतर पुनः स्थापित करना है, जिससे भारत विश्व गुरु बना। इन्हीं उपलब्धियों के कारण आने वाली पीढ़ी हम पर गर्व कर सकेगी। उन्होंने बताया कि नव सम्वत्सर प्रकृति एवं खगोल शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित है। यह सिद्धांत विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतरी है।

डॉ. बीबी अग्रवाल ने बताया कि कड़प्पा में आयोजित उद्घोष 2081 में स्वामी शंकरानंद गिरी एवं स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने कहा कि यह क्षण अत्यंत ही गौरवशाली है, जब हम सब मिलकर नव सम्वत्सर का स्वागत कर रहे हैं। डॉ. अग्रवाल बीते छह वर्षों से प्रतिवर्ष यह कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह भारतीय अध्यात्म एवं संस्कृति के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अनुप्राणित हो रहे हैं। आम लोगों में इस कार्यक्रम के प्रति लगाव बढ़ रहा है, जो शुभ संकेत है।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

   

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