उपनयन संस्कार में 24 छात्रों ने धारण किये यज्ञोपवीत

जम्मू। स्टेट समाचार
संस्कार मनुष्य जीवन को देव मार्ग पर अग्रसर करता है। विश्वस्थली बसोहली नगर में प्रतिष्ठित चूड़ामणि संस्कृत संस्थान में हर वर्षों के भांति इस वर्ष बड़े ही हर्षोल्लास के द्वारा उपनयन संस्कार (यज्ञोपवीत संस्कार) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गुरुकुल में नूतन प्रवेश लिए हुए 12 बटुकों के साथ कुल 24 बटुक परम पूज्य , साधु सेवी, संस्कृत संकृति के उपासक,प्रात: स्मरणीय शास्त्री जी को गुरु मानते हुए, तथा उनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हुये यज्ञोपवीत के साथ ब्रह्मचर्य व्रत धारण किए। गुरुकुल के मुख्य न्यासी श्रीमान् शक्ति पाठक जी ने कहा कि हमारे सनातन संस्कृति में षोडश संस्कारों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। संस्कारों के द्वारा ही मनुष्य साधु मानवता के मार्ग पर देव मार्ग को प्राप्त करता है। इस विषय में शास्त्र कहते हैं- जन्मना ब्राह्मणोज्ञेय संस्कारात् द्विज उच्यते। वेदाभ्यासे भवेत् विप्रस्त्रिभि: श्रोत्रिय लक्षणम्। अर्थात् जन्म से सभी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य होते हैं। परंतु संस्कार पूर्वक जन्म द्वारा वो द्विजत्व को, वेदपाठ करने पर विप्रत्वको प्राप्त होता है एवं पवित्र ज्ञानवान हो कर समस्त पुण्यकार्यों को करने लायक होता हैं। उसी षोडश संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि बिना यज्ञोपवीत संस्कार के हम गुरु से दीक्षा, विद्या ग्रहण आदि प्राप्त नहीं कर सकते, यज्ञों के समस्त फल बिना यज्ञोपवीत संस्कार के नहीं प्राप्त कर सकते हैं। इसी शास्त्रोक्त पद्धतियों का अनु पालन करते हुए वैदिक विद्वानों परिमार्जित मंत्रोच्चारण द्वारा मुख्यन्यासी शक्ति पाठक जी के मार्गदर्शन में तथा प्राचार्य डॉ.सौम्य रंजन महापात्र जी के नेतृत्व में प्रबन्धक महेंद्रपाल उपाध्याय द्वारा अनुष्ठित यह यज्ञोपवीत संस्कार रूपी यज्ञ निर्विघ्नता के साथ संपन्न किया गया। अन्त में ब्रह्मचारी गण सम्पूर्ण नगर में भ्रमण करते हुए गुरुकुल पहुंचे। जिसमें संस्थान का सभी कार्यकारिणी सदस्य, आचार्य अनमोल, आचार्य साहिल, आचार्य राजेश, आचार्य अनील कुमार, संपूर्ण ज्ञान से अलंकृत आचार्या रमारानी, प्रवीणा परम श्रद्धेया ललिता जी संस्थान का सभी कर्म कर्ता, विद्यार्थियों के माता पिता, विश्वस्थली नगर के नागरिक तथा साम्वादिकगण साथ शताधिक लोग उपस्थित रहे।

   

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