जैन धर्म के सभी तीर्थंकरों के जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में पढाने की वैश्य समाज की मांग

मुनि

अजमेर, 21 अप्रैल (हि.स.)। अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन रविवार को अजमेर में हुआ। सम्मेलन में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक के जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में पढाने की वैश्य समाज ने प्रधानमंत्री से मांग की।

उमेश गर्ग ने बताया कि सृष्टि के सबसे प्राचीन जैन धर्म को जन-जन तक पहुंचना आज की नई पीढ़ी के लिए अति आवश्यक है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और वैश्य समाज की स्थापना करने वाले प्रथम देवनागरी लिपि को आरंभ करने वाले भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक प्रत्येक तीर्थंकर ने अपने जीवन में ऐसे उपदेश दिए जो आज के मानव जीवन में अत्यंत आवश्यक है। और आज के परिपेक्ष में तो अति आवश्यक है, जब नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, और जो पाश्चात्य संस्कृति की और हम बढ़ रहे हैं उसे बचाने में जैन धर्म बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है।

गर्ग ने बताया कि महावीर जयंती के पावन अवसर पर संपूर्ण अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से भगवान महावीर स्वामी के श्री चरणों में श्रीफल भेंट किया गया। साथ ही आचार्य मुनिवर उपाध्याय वृषभानंद के चरणों में भी वैश्य समाज की ओर से श्रीफल भेंट किया गया।

महावीर जयंती के स्वागत में मुख्य संरक्षक कालीचरण दास खंडेलवाल, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रमाकांत बाल्दी, जिला अध्यक्ष रमेश तापडिय़ा, जिला महामंत्री उमेश गर्ग, जिला कोषाध्यक्ष प्रवीण जैन सहित भारी संख्या में समाज बंधु उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ इंदु/ईश्वर

   

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