किसान हित की हमारी नीति को सरकार कमजोरी न समझे: भारतीय किसान संघ

किशनगढ़/अजमेर , 24 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन शनिवार को चौथे सत्र में श्री अन्न की विपणन व्यवस्था एवम किसान आंदोलन में राजनीतिक चुनावी पैंतरेबाजी पर प्रस्तुत प्रस्ताव चर्चा उपरांत पारित किए गए। किसान आन्दोलन के प्रस्ताव पर चर्चा में देश भर से आए किसान प्रतिनिधियों ने अपनी बात कही। किसानों ने कहा कि हमारे संगठन की नीति है कि राष्ट्रहित की चौखट के अंतर्गत किसान हित होता है। इसलिए हम हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करते है। लेकिन किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकारें हमारे अनुशासन, राष्ट्रहित व संवाद की प्राथमिकता को कमजोरी न समझे।

भारतीय किसान संघ के प्रस्तुत प्रस्ताव में देश भर के किसानों की राय को रखते हुए महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि जब देश के किसान संगठन अनुशासन व शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आकर किसानों की समस्याओं व मांगे रखते हैं। उनसे वार्तालाप करना सरकार मुनासिब नहीं समझती है। सरकार का रवैया कहीं न कहीं खेद पूर्ण है। जिससे हिंसक आंदोलन की प्रवत्ति को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ती है। मिश्र ने कहा कि किसान के नाम पर राजनीतिक चुनावी पैंतरेबाजी के कारण नुकसान सिर्फ किसानों का हो रहा है। जिसमें किसान पिस भी रहा है और मर भी रहा है। यह दुखद है। आज देश में हिंसक आंदोलन के द्वारा किसान आंदोलन के प्रति समाज में नकारात्मक भाव पैदा किया जा रहा है। प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत प्रस्ताव के माध्यम से किसान संघ ने मांग रखी कि हिंसक आंदोलन को प्रोत्साहन, समर्थन और सहायता नहीं मिलना चाहिए। शासन, प्रशासन व समाज को भी हिंसक तरीकों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए।

किसान संघ ने किसानों की बेहतरी के लिए रखे सुझाव

महामंत्री मिश्र ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिनिधि सभा में आए सुझावों को रखते हुए कहा कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य किसानों को मिलना चाहिए। कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त की जाए। किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए। जहर नहीं जैविक को प्राथमिकता देकर जीएम बीज को अनुमति नहीं दी जाए। बीज किसानों का अधिकार है, मंडी व बाजार में किसानों का शोषण रोकने सरकारें व्यवस्था करें।

श्री अन्न के विपणन के लिए व्यापक नीति बने

प्रतिनिधि सभा में श्री अन्न के संबंध में आए प्रस्ताव में कहा गया कि दुनिया को स्वास्थवर्धक भोजन देने की दिशा में भारत का दिशा दर्शन भविष्य में वरदान साबित होगा। भारत सरकार द्वारा भी श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए अच्छा कार्य किया जा रहा है। देश के सुरक्षा सैन्य संस्थानों में कार्यरत सैन्य कर्मियों को पोषण आहार देने की मंशा से भोजन में सरकार ने पच्चीस प्रतिशत की भागीदारी की है। यह स्वागत योग्य कदम है। प्रस्ताव के माध्यम से किसान संघ ने सुझाव दिए कि श्री अन्न के पारंपरिक बीज के साथ कोई छेड़खानी न हो और इसके पर्याप्त उत्पादन व उचित मूल्य में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रस्ताव में किसान संघ ने श्री अन्न के विपणन के लिए व्यापक नीति बनाने की मांग भी रखी।

देशभर से आए किसानों ने रखे सदस्यता वृत्त

भारतीय किसान संघ का देश भर में सदस्यता अभियान चल रहा है, देश भर में एक लाख ग्राम समितियों का गठन कर एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसका देश भर से आए प्रांत महामंत्रियों ने अपने प्रांत की सदस्यता का वृत्त व कार्ययोजना को प्रतिनिधि सभा में रखा।

भारतीय किसान संघ की प्रतिनिधि सभा में देश भर से पैंतीस से अधिक प्रांतों से आए प्रांत स्तर के पदाधिकारियों के साथ किसान संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष राम भरोसे वासोतिया, महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी, संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, उपाध्यक्ष भैयाराम मोर्य, पेरूमल जी, मंत्री बीना सतीश, बाबूभाई पटेल, प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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