चरित्रवान की ही होती है पूजाः विज्ञानानंद

हरिद्वार, 23 अप्रैल (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि जिसे भोगों की भूख नहीं होती वही चरित्रवान बनता है और चरित्रवान के ही चित्र की पूजा होती है। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री हनुमत गौशाला सत्संग हॉल में हनुमान जयंती के अवसर पर भक्तों को हनुमान चरित्र की कथा का अमृतपान करवा रहे थे।

हनुमानजी को सृष्टि का सबसे बड़ा रक्षक बताते हुए उन्होंने कहा कि लंका में विभीषण और सीता के सम्मान की रक्षा की, भगवान राम और सुग्रीव के सम्मान, भरत के भ्रातत्व की रक्षा करने वाले हनुमान जीवन और सम्मान दोनों के सबसे बड़े रक्षक हैं। व्यक्ति की महानता को वेदांत के सिद्धांतों से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि पिता धर्मात्मा और माता पतिव्रता हो तो उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। कई प्रदेशों के साथ बड़ी संख्या में आए स्थानीय भक्तों से उन्होंने हनुमानजी के चरित्र से प्रेरणा लेने का आवाहन किया।

निर्धन निकेतन संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य चंद्रभूषण ने शतायु संत स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती की तुलना करपात्री जी महाराज और स्वामी अखंडानंद से करते हुए कहा कि सृष्टि में सात अमर आत्माओं में चर्चा केवल हनुमान जी की ही होती है। मंदिर भी हनुमान जी के सर्वाधिक हैं और चालीसा भी हनुमान जी का ही है। भक्ति और प्रपत्तिका भावार्थ समझते हुए उन्होंने कहा कि भक्ति तो सकाम भी हो सकती है लेकिन हनुमान जी की प्रपत्ति में कोई लालच या मोह नहीं है। हनुमान जयंती के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ साधकों ने सपरिवार हनुमत उपासना कर विश्व कल्याण की कामना की।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

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