बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट : नडियाद के समीप पहला 100 मीटर लंबा रेलवे स्टील ब्रिज तैयार

-1486 मैट्रिक टन स्टील से भुज के वर्कशॉप में बना

नडियाद, 24 अप्रैल (हि.स.)। अहमदाबाद-मुंबई के बीच निर्माणाधीन देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना तेज गति से आगे बढ़ रही है। अहमदाबाद-वडोदरा के मुख्य रेलवे लाइन पर नडियाद के समीप बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का पहला 100 मीटर लंबा स्टील ब्रिज बनाया गया है। इस ब्रिज को भुज के समीप एक वर्कशॉप में करीब 1486 मैट्रिक टन स्टील से तैयार किया गया है।

मेक इन इंडिया विजन के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में स्वदेशी तकनीक और क्षमताओं को उपयोग करने की दिशा में यह स्टील ब्रिज उदाहरण बना है। भुज के वर्कशॉप और जहां इस ब्रिज को इंस्टॉल करना है, दोनों के बीच करीब 310 किलोमीटर की दूरी है। इंस्टॉलेशन के लिए इसे ट्रेलर पर लाया गया है। स्थल पर स्टील के पुल को कामचलाऊ ट्रेस्टल्स पर जमीन से 15 मीटर की ऊंचाई पर एसेम्बल किया गया। इसके बाद 63 मीटर लंबाई के लॉन्चिंग नॉज, मुख्य ब्रिज के एसेम्बल के साथ 430 मैट्रिक टन के वजन का एसेम्बल किया गया। स्टील के ब्रिज को 2 जैक की स्वचालित पद्धति से खींचा गया। दोनों जैक 180 एमटी की क्षमता के थे। इनमें हाइटेंशन स्ट्राइंड का उपयोग किया गया। इस पुल को सावधानीपूर्वक और पूरी सतर्कता के साथ रेलवे लाइन से सम्पूर्ण रूप से ट्रैफिक ब्लॉक और पावर ब्लॉक में खींचा गया।

तकनीकी जानकारी

मुख्य पुल की लंबाई 100 मीटर है। मुख्य पुल का वजन 1486 एमटी है। लॉन्चिंग नॉज की लंबाई 63 मीटर है। लॉन्चिंग नॉज का वजन 430 मैट्रिक टन है। इसके अलावा स्टील के सभी उत्पादन बैच का वर्कशॉप में अल्ट्रासोनिक परीक्षण किया गया। स्टील ब्रिज का निर्माण जापानी इंजीनियर की ओर से तैयार डिजाइन के अनुसार कटिंग, ड्रिलिंग, वेल्डिंग और पेंटिंग की उच्च तकनीक और विशेष काम के साथ किया गया। वेल्डर्स और सुपरवाइजर को अंतरराष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों की ओर से प्रमाणित किया गया था। वेल्डिंग प्रक्रिया की देखरेख वर्कशॉप में तैनात जापान के अंतरराष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों ने किया। फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर चेक एसेम्बली प्रक्रिया से होकर गुजरता है। इसके बाद स्टील स्ट्रक्चर की अत्याधुनिक 5-स्तरवाली पेंटिंग को फॉलो करता है।

पेंटिंग तकनीक का इस्तेमाल

स्टील गर्डस के लिए अपनाई जाने वाली पेंटिंग तकनीक का यह पहला मामला है। यह जापान रोड एसोसिएशन की हैंडबुक फॉर कोरोजन प्रोटेक्शन ऑफ स्टील रोड ब्रिज की सी-5 पेंटिंग सिस्टम के अनुरूप है। स्टील मेंबर्स की ज्वॉइंट टोर शीयर टाइप हाई स्ट्रेन्थ बोल्ट्स का उपयोग कर किया जाता है जोकि देश में किसी भी रेलवे प्रोजेक्ट के लिए यह पहली बार उपयोग में लाया गया है। कॉरिडोर के लिए पूरे हुए 28 स्टील ब्रिज में से यह दूसरा पुल है। पहला स्टील पुल गुजरात के ही सूरत में राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर शुरू किया गया। इस स्टील ब्रिज के निर्माण में करीब 70 हजार मैट्रिक टन स्टील का उपयोग होता है। इस स्टील पुल की लंबाई 60 मीटर सिम्पल सपोर्टेड से 130 प्लस 100 मीटर कंटिन्यूअस स्पान तक बदला जाता है। स्टील का उपयोग ब्रिज राजमार्ग, एक्सप्रेस वे और रेलवे लाइन पार करने में सर्वाधिक उपयोगी है। यह 40 से 45 मीटर तक फैले पूर्व भरे गए कंक्रीट पुल से विपरीत है, जो नदी पुलों समेत अधिकांश विभागों के लिए योग्य है। भारत के पास 100 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए स्टील का पुल बनाने की क्षमता है। अब स्टील गर्डर्स के निर्माण में समान कुशलता एमएएचएसआर कॉरिडोर पर लागू किया जाएगा। इसकी रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/वीरेन्द्र

   

सम्बंधित खबर