जम्मू और कश्मीर के युवा सैनिकों ने दिव्य त्रिकुटा ऊंचाइयों के नीचे मार्च किया

उधमपुर, 1 दिसंबर (हि.स.)।

त्रिकुटा पहाड़ियों की गंभीर ऊंचाइयों के नीचे जम्मू और कश्मीर के 262 बहादुर बेटों ने जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर, डंसल, जो श्रीनगर में मुख्य रेजिमेंटल सेंटर की शीतकालीन चौकी है में अपनी विरासत को वीरता के इतिहास में गहराई से अंकित किया।

ठंडी हवा को हिलाते हुए मार्शल धुनों के साथ, साहस और गौरव से लदे ये रंगरूट, अटूट उत्साह के साथ आगे बढ़े जो राष्ट्र के अदम्य रक्षकों का प्रतीक था।

लेफ्टिनेंट जनरल पीके मिश्रा, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, जीओसी व्हाइट नाइट कोर की निगरानी ने परेड को दिनचर्या से कहीं अधिक गंभीरता प्रदान की। यह कार्यक्रम भारत की संप्रभुता को कमजोर करने वाले खतरों के खिलाफ अवज्ञा के एक शक्तिशाली गान के रूप में गूंज उठा खासकर हाल की घटनाओं के बाद।

यह सभा केवल औपचारिक नहीं थी यह उस निर्बाध एकता और उग्र देशभक्ति का एक जीवंत प्रमाण थी जो सैनिकों की जैतून-हरियाली से झलकती है। डंसल की शीतकालीन धुंध और नरम सूरज, दिव्य त्रिकुटा पहाड़ियों की अनदेखी।ने तमाशे में एक गहरा आयाम जोड़ा। जैसे ही सर्दियों की धुंध में अंतिम सलामी गूंजी, तिरंगा ऊंचा उठ गया, जो इन युवाओं के लगातार आगे बढ़ने का प्रतीक है - न केवल कदम बढ़ा रहे हैं, बल्कि राइफल लेकर आगे बढ़ रहे थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता

   

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