राज्य सभा में चिपको आंदोलन की प्रेरणा गौरा देवी को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग

नई दिल्ली, 02 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने चिपको आंदोलन की प्रेरणा गौरा देवी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है। मंगलवार को राज्य सभा में शून्य काल और स्पेशल मेंशन में महेन्द्र भट्ट ने केंद्र सरकार से देवभूमि की मातृशक्ति द्वारा जंगलों को बचाने की ऐतिहासिक मुहिम चलाने वाली गौरा देवी को देश के सर्वोच्च सम्मान से पुरस्कृत करने की मांग की।

सदन में उन्होंने कहा कि गौरा देवी उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली की जोशीमठ विकास खण्ड के रेणी गांव की ग्रामीण महिला थीं, जिन्होंने अपने जीवन काल में पर्यावरण संरक्षण के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी।

चिपको आंदोलन हिमालय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर और पेड़ों की कटाई के खिलाफ मातृशक्ति के द्वारा वृक्षों के आलंगन से जुड़ा आंदोलन था। आज आंदोलन के 53वर्ष पूर्ण हो गए हैं।

पर्यावरण बचाने के लिए यह चिपको आंदोलन 26 मार्च 1970 को इस सीमांत क्षेत्र में प्रारंभ हुआ जब पेड़ों को काटने वाले ठेकेदारों ने पेड़ काटने के लिए मजदूरों को भेजा तब गोरा देवी जी के नेतृत्व में महिलाएं इन पेड़ों से चिपक गईं। उन्होंने कहा कि पेड़ों को काटने से पहले उन्हें काटा जाए।

इस आंदोलन की गूंज को भारत सहित संपूर्ण दुनिया ने सुना। चिपको आंदोलन ने देश में पर्यावरण संरक्षण बड़ा मुद्दा बना दिया और यह आंदोलन भारत के हिमाचल, कर्नाटक, राजस्थान तथा बिहार राज्यों तक फैल गया।

महेन्द्र भट्ट ने कहा कि इस आंदोलन का ही परिणाम रहा कि तत्कालीन भारत सरकार ने 15 वर्षों तक हिमालयी राज्यों में पेड़ कटान को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया। चिपको आंदोलन गौरा देवी के संघर्षों की कहानी है, जंगल प्रकृति के लिए कितने मूल्यवान हैं, उस आंदोलन के गीत में निहित है।

चिपका डाल्थु पर न कंटण दय्वा, पहाड़ों की सम्पत्ति अब न लूटण दय्वा।

उन्होंने सरकार से मांग की कि इस महान विभूति को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए ताकि पर्यावरण संरक्षण की ये मुहिम आने वाली कड़ी पीढ़ियों को प्रेरणा देने का काम करती रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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