पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गीता जयंती पर जीवन प्रबंध और गीता विषय पर विशेष व्याख्यान

जयपुर, 1 दिसंबर (हि.स.)। हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय में आयोजित इस विशेष व्‍याख्‍यान में समाजसेवी एवं श्रीमद्भगवद्गीता विशेषज्ञ रामकृष्ण गोस्वामी ने विद्यार्थियों से संवाद किया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर एन. के. पाण्डेय ने की। उन्होंने हमारे जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता निष्काम कर्म कि प्रेरणा देने वाला ग्रन्थ है वर्तमान परिपेक्ष में गीता के माध्यम से ही जीवन कि समस्याओं का हल निकला जा सकता है। गीता त्योहारों से अलग, जयंती के रूप में मनाया जाती हैं। प्रो. पाण्डेय ने बताया कि गांधीजी कहते थे कि जब भी मैं उलझन में होता हूं तो गीता पढ़ता हूं।

अपने उद्बोधन में रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि धर्म की आत्मा न्याय है और न्याय की स्थापना के लिए प्रयास करना चाहिए । गीता की 5162 वीं जयंती पर गोस्वामी ने बताया कि गीता हमें फल कि इच्छा के बिना कर्म करने कि प्रेरणा देती है। उन्होंने अपने निजी अनुभावों से बताया कि तिहाड़ जेल में कैद कैदियों के गीता पाठ से उनके चरित्र का उथान हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवा का आदर्श वाक्य “योग: कर्मसु कौशलम” और सर्वेच्च न्यायलय का आदर्श वाक्य “यतो धर्मस्ततो जय:” भी गीता से लिया गया है। श्रीकृष्ण को गोस्वामी जी ने पत्रकार बताया और कहा कि संवादकर्ता संवाददाता होता है, और वही पत्रकार होता है। अगर गीता का मंथन नहीं किया गया, तो श्रेष्ठ पत्रकार नहीं बन सकते। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज और नागरिक निर्माण कि जिम्मेदारी विश्वविद्यालय की है।

गोस्‍वामी ने छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दिए। कार्यक्रम का मंच संचालन एवम धन्यवाद् ज्ञापन विश्वविद्यालय के न्‍यू मीडिया विभागाध्‍यक्ष, डॉ. शालिनी जोशी द्वारा किया गया, उन्होंने अपने धन्यवाद् ज्ञापन में मुख्य वक्ता रामकृष्ण गोस्वामी को गीता संबंधित जानकारी विद्यार्थीयो के साझा करने पर आभार प्रकट किया। गोस्वामी द्वारा इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षक,छात्र एवं स्टाफ को श्रीमद्भागवद्गीता भेंट की।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

सम्बंधित खबर