स्त्री-पुरुष के मध्य समभाव से अधिक समरस भाव की स्थापना के आग्रह पर केन्द्रित है भारतीय चिंतन: बालमुकुन्द
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- Mar 10, 2025

दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय परिसर में हुई भारतीय विमर्श में महिलाएं विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
नई दिल्ली, 10 मार्च (हि.स.)। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि भारतीय चिंतन स्त्री और पुरुष के मध्य समभाव की स्थापना से अधिक उनके मध्य समरस भाव की स्थापना के आग्रह पर केन्द्रित है।
डॉ. बालमुकुन्द यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय परिसर में भारतीय विमर्श में महिलाएं विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय इतिहास संकलन योजना (दिल्ली प्रान्त) की महिला इकाई महिला इतिहासकार परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू अध्ययन केंद्र, रामानुजन महाविद्यालय और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत आनुषंगिक संगठन है।
कार्यक्रम को अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की महिला इतिहासकार परिषद की राष्ट्रीय प्रमुख एवं इतिहासकार प्रो. सुस्मिता पाण्डे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज भारतीय परिप्रेक्ष्य में स्त्रियों की भूमिका का आकलन और इतिहास अध्ययन की आवश्यकता है।
रामानुजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रसाल सिंह ने कहा कि भारतीय समाज ने पश्चिम देशों के मुकाबले स्त्रियों को अधिक अधिकार और स्वायत्तता दी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्रो. बलराम पाणी ने अपने उद्बोधन में भारतीयता में स्त्री के उदात्त स्वरूप को रेखांकित किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनभर में चले आठ तकनीकी सत्रों में 80 के करीब शोधपत्रों की प्रस्तुति हुई। इसके बाद समारोप सत्र का आयोजन हुआ। इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर से आये शिक्षक, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।
समारोप सत्र में पूर्व मेयर और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. रजनी अब्बी ने महिला अधिकारों पर जागरुकता की महत्ता पर बल देते हुए समसामयिक विषयों को लेकर ऐसी ही सकारात्मकता के साथ कार्य करने पर बल देने को वर्तमान समय की आवश्यकता बताया।
हिन्दुस्थान समाचार/ पवन कुमार
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हिन्दुस्थान समाचार / पवन कुमार