भारत में क्षय रोग की दर में 17.7 प्रतिशत की कमीः केंद्र
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- Mar 18, 2025

नई दिल्ली, 18 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को भारत मंडपम में भारत नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य देश से क्षय रोग (टीबी) समाप्त करने के लिए नवाचारी समाधानों पर बल देना है और 2025 तक भारत की टीबी उन्मूलन की प्रगति को तेज करना है। यह सम्मेलन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (डीएचआर-आईसीएमआर) और केंद्रीय टीबी विभाग (सीटीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (मोएचएफडब्ल्यू) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने टीबी नियंत्रण में भारत की अभूतपूर्व प्रगति और इस मिशन में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह कार्यक्रम 2025 तक देश से टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य की ओर तेज गति से प्रगति कर रहा है। वर्ष 2023 में 25.5 लाख टीबी के मामले थे और 2024 में 26.07 लाख मामले समाने आए थे। यह अब तक का सबसे उच्चतम आकंड़ा है। अनुप्रिया पटेल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए कहा कि भारत में टीबी की दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 मरीज से घटकर 2023 में प्रति लाख जनसंख्या 195 हो गया है, जो 17.7 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। टीबी से होने वाली मौतों में 2015 में प्रति लाख जनसंख्या 28 से घटकर 2023 में प्रति लाख जनसंख्या 22 हो गई है, जो 21.4 प्रतिशत की कमी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवोदित नेतृत्व के तहत भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले दशक में अभूतपूर्व परिवर्तन देखा है और आप में से कई ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि नवाचार और गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें।
उन्होंने कहा कि भारत में टीबी उपचार कवरेज पिछले आठ वर्षों में 2015 में 53 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 85 प्रतिशत हो गया है। राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों में जो ड्रग-प्रतिरोधी टीबी के रोगियों के उपचार की सफलता दर को 2020 में 68 प्रतिशत से 2022 में 75 प्रतिशत तक सुधारने में सफल रहा है। इस मौके पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कह कि भारत ने आने वाले 5 वर्षों में 5 बीमारियों को खत्म करने का संकल्प लिया है जिनमें कुष्ठ रोग, लिम्फैटिक फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और काला-अज़ार शामिल है। डॉ. पॉल ने दवा-प्रतिरोधक टीबी के निदान के लिए उन्नत और बेहतर उपकरणों की आवश्यकता पर भी जोर दिया और टीबी की पहचान और समाप्ति के लिए एआई की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि टीबी की समाप्ति के लिए ऐसा प्रौद्योगिकी जो पैमाने पर लाया जा सके, उच्च प्राथमिकता है साथ ही नई तकनीकों के अनुमोदन और उनके लिए फंडिंग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है और आगे अनुसंधान के लिए क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी