जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: अमोल पालेकर ने साझा किया बीआर चोपड़ा से जुड़े विवाद का किस्सा
- Admin Admin
- Feb 02, 2025
जयपुर, 2 फ़रवरी (हि.स.)। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन रविवार को बॉलीवुड अभिनेता अमोल पालेकर ने फिल्म निर्देशक बीआर चोपड़ा से जुड़े एक दिलचस्प वाकये का खुलासा किया। पालेकर ने बताया कि कैसे बकाया पैसे मांगने पर बीआर चोपड़ा ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर फेंक देने की धमकी दी थी।
पैसों की नहीं, सम्मान की लड़ाई थी
अमोल पालेकर ने कहा कि बीआर चोपड़ा की फिल्म कंपनी को उन्हें 40 हजार रुपये देने थे, जो फिल्म की रिलीज तक नहीं मिले। उन्होंने इस बारे में एक लिखित आश्वासन मांगा, जिसे इंडस्ट्री में चुनौती मान लिया गया। चोपड़ा ने उन्हें धमकी दी, तुम्हें इंडस्ट्री से बाहर फेंक दूंगा।
इसके जवाब में पालेकर ने स्पष्ट रूप से कहा, फिल्म इंडस्ट्री आपका बंगला नहीं है। मैं यहां अपने दम पर टिका हूं। किसी फिल्मी खानदान से नहीं आता, फिर भी मैंने अपनी जगह बनाई है। देखते हैं कौन-किसे बाहर करता है।
कोर्ट में मिली जीत, पूरी राशि दान की:
पालेकर ने इस विवाद को अदालत तक पहुंचाया। वर्षों बाद उन्हें 40 हजार रुपये ब्याज सहित मिले। उन्होंने इस पूरी राशि को दान कर दिया। पालेकर ने कहा, यह पैसों की नहीं, बल्कि सम्मान की लड़ाई थी।
जेएलएफ के चौथे दिन चर्चा
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन आयोजित इस सत्र में पालेकर ने संध्या गोखले और कार्यक्रम आयोजक संजॉय के. रॉय के साथ बातचीत की। पांच दिवसीय इस फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ता देश-विदेश से हिस्सा ले रहे हैं।
यह किस्सा न केवल पालेकर के साहस और दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री की चुनौतियों और कलाकारों के आत्म-सम्मान की अहमियत को भी उजागर करता है।
अमोल पालेकर: राजनीति से दूरी, सिनेमा और थिएटर का सफर
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बेबाक बयान
फील-गुड फिल्मों के चर्चित अभिनेता आमोल पालेकर ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में राजनीति में आने की अटकलों पर साफ कहा कि वे आलोचना करने के अपने अधिकार को बरकरार रखना चाहते हैं, इसलिए राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं। पालेकर ने यह भी खुलासा किया कि वे अभिनेता भी नहीं बनना चाहते थे। उनका सपना एक पेंटर बनने का था और इसी रूप में मरने की ख्वाहिश रखते हैं।
बीआर चोपड़ा के खिलाफ कोर्ट केस का खुलासा
पालेकर ने बताया कि एक फिल्म प्रोजेक्ट के दौरान उन्हें बीआर चोपड़ा के साथ 40 हजार रुपये पर काम करने का मौका मिला। लेकिन कंपनी ने यह भुगतान करने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने हक की मांग की, तो उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर करने की धमकी मिली। मजबूर होकर उन्होंने मामला कोर्ट में ले लिया, जहां फैसला उनके पक्ष में आया। बाद में उन्होंने वह राशि चैरिटी को दान कर दी।
आधुनिक राजनीति पर टिप्पणी
आज के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए पालेकर ने कहा कि नेता जनसेवा के लिए नहीं, बल्कि इसे प्रोफेशन मानकर राजनीति में हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में किसी सरकार या नेता की आलोचना करने पर देशद्रोही करार दिया जाता है।
थिएटर और फिल्मों में रिहर्सल का अंतर
पालेकर ने थिएटर और फिल्मों के काम करने के तरीकों में बड़ा अंतर बताया। थिएटर में लगातार रिहर्सल से किरदार को जीने का मौका मिलता है, जबकि फिल्मों में एक सीन शूट करने के बाद उसे भूल जाना पड़ता है।
स्मिता पाटिल के साथ थप्पड़ वाला किस्सा
एक घटना का जिक्र करते हुए पालेकर ने बताया कि एक सीन में उन्हें स्मिता पाटिल को थप्पड़ मारना था। बिना रिहर्सल के शूटिंग हुई, जिससे वह जोरदार थप्पड़ मार बैठे। यह दृश्य पर्दे पर बेहद प्रभावशाली बना। बाद में उन्होंने स्मिता से माफी मांगते हुए गले लगाया। उस दिन के बाद उन्होंने महिलाओं के प्रति सम्मान के साथ कभी ऊंची आवाज़ में बात न करने का संकल्प लिया।
बच्चों को फिल्मी दुनिया से दूर रखा
पालेकर ने बताया कि उनकी बेटियां फिल्मी दुनिया से दूर हैं। एक बेटी ऑस्ट्रेलिया में इंग्लिश की प्रोफेसर है और दूसरी स्वीट्जरलैंड में स्पोर्ट्स लॉयर है।
मध्यम वर्ग की फिल्में आज नहीं बनतीं
रजनीगंधा और गोलमाल जैसी मध्यम वर्गीय भावनाओं को दर्शाने वाली फिल्मों पर टिप्पणी करते हुए पालेकर ने कहा कि आज का मिडिल क्लास वैसा नहीं रहा। हालांकि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ऐसे किरदार अब भी नजर आ जाते हैं।
छह दशक का थिएटर और फिल्म सफर
आमोल पालेकर का छह दशकों का लंबा करियर रहा है। कोविड के दौरान उन्हें लेखन का समय मिला और उन्होंने छह महीने में 450 पन्नों की किताब लिखी। पिछली बार उन्होंने अपना 80वां जन्मदिन मनाया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश