मनुस्मृति जलाने का प्रकरण : जेल गए बीएचयू के छात्र छात्राओं ने आपबीती सुनाई
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- Jan 12, 2025
—भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा से जुड़े 13 विद्यार्थियों की गिरफ्तारी को लेकर संगठन ने की पीसी
वाराणसी,12 जनवरी (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में बीते वर्ष के 25 दिसम्बर को मनुस्मृति जलाने की कोशिश में भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा से जुड़े गिरफ्तार 13 विद्यार्थियों की जेल से रिहाई हो गई है। पूरे प्रकरण को लेकर रविवार को मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ जेल गए सभी छात्र छात्राओं ने मीडिया को अपनी आपबीती सुनाई।
उन्होंने बताया कि बीएचयू सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ हाथापाई की और गालियां दी। फिर प्रॉक्टोरियल बोर्ड की ऑफिस में उन्हें कई घंटे रखा गया। जेल में भी व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्ट है। एक सेल में जहां 50 लोग ठीक से सो नहीं सकते हैं वहां 200 के करीब लोगों को रखा गया है। अगर पैसे हैं तो जेल में सारी सुविधाएं मिलेंगी । लेकिन अगर पैसे नहीं है तो वहां मानसिक रूप से हर पल प्रताड़ित किया जाता है।
गोलघर स्थित पराड़कर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान नागरिक समाज के साथ गिरफ्तार छात्रों के अधिवक्ता ने भी अपनी बात रखी। अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि बीएचयू में मनुस्मृति दहन दिवस पर चर्चा करने के कारण मोर्चा से जुड़े 13 विद्यार्थियों जिसमें तीन छात्राएं भी शामिल रही को फर्जी व षड्यंत्रकारी तरीके से गंभीर धाराओं में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। लगभग 16 दिन बाद जेल से सभी 13 छात्र छात्राओं की रिहाई हुई। अधिवक्ता ने कहा कि छात्र छात्राओं की गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी था, इनकी हिरासत गैरकानूनी थी और गैर कानूनी तरीके से ही जेल भी भेज दिया। गिरफ्तारी के समय सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार के गाइड लाइंस का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया। तीन लड़कियों को 25 दिसंबर की शाम को ही गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन एफआईआर में 26 तारीख को दिखाया गया। इस पूरी गैरकानूनी गिरफ्तारी में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की प्रक्रिया आगे की जाएगी।
संगठन की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद ने कहा कि भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा पिछले 10 सालों से बीएचयू में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए और बीएचयू प्रशासन की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ता रहा है। आरोप लगाया कि पिछले साल जब आईआईटी बीएचयू में एक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के आरोपियों को विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन संरक्षण दे रहा था। तब पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मुखर होकर मोर्चा ने संघर्ष किया था। तब जाकर तीनों दोषियों की गिरफ्तारी हुई थी। नागरिक समाज के एसपी राय ने कहा कि आज पूरे देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। जब मनुस्मृति पर शोध करने के लिए विश्वविद्यालय फेलोशिप दे रहा, तो उसी विश्वविद्यालय में इस विषय पर चर्चा करना कैसे गलत हो गया। यह विश्वविद्यालय और पुलिस प्रशासन की मनुवादी सोच को दर्शाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी