झोड़ा, चांचरी, छपेली, फूलदेई और भिटौली की सांस्कृतिक झांकी दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

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नैनीताल, 19 मार्च (हि.स.)। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से दो दिवसीय ‘कुमाऊं प्रथा पर्व एवं लोक उत्सव’ का नैन्सी कांवेंट कॉलेज ज्योलीकोट में भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर सर्वोदय सेवा समिति संस्थान नैनीताल के कलाकारों ने बीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद विभिन्न पारंपरिक लोक नृत्य एवं गीतों का मंचन और झोड़ा, चांचरी, छपेली, फूलदेई और भिटौली पर्व जैसे लोक गीत और नृत्यों का जीवंत प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उत्तराखंड की पारंपरिक लोक संस्कृति को प्रोत्साहित करना और उसके संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि नैन्सी कान्वेंट के प्रधानाचार्य डॉ. संजय सिंह, विशिष्ट अतिथि विनय कुमार तिवारी एवं विजय कुमार सिंह व संस्थान के प्रमुख आनंद मेहरा ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम में नंदा-सुनंदा वंदना, हरेला पूजन गीत, गढ़वाली और कुमाऊंनी झोड़ा-छपेली नृत्य, फूलदेई छम्मा देई गीत-नृत्य तथा भिटौली पर्व पर आधारित ग्रुप नृत्य ‘हीरा समदणी’ की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को उत्तराखंड की लोक संस्कृति की मधुर झलक दिखाई।

मुख्य अतिथि डॉ. संजय सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिमालय और गंगा भारतीय सभ्यता, इतिहास और परंपराओं का केंद्र हैं। उन्होंने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को यहां के लोगों की जीवनशैली का अभिन्न अंग बताते हुए इस तरह के आयोजनों को सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए आवश्यक बताया। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों और प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। मंच संचालन उमेश कांडपाल ने किया, जबकि संगीत निर्देशन अजय कुमार, नृत्य निर्देशन रिया टम्टा और संपूर्ण निर्देशन आनंद सिंह मेहरा ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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