होली पर भद्रा: रात्रि 11:28 से रात्रि 12:15 बजे के मध्य होगा होलिका दहन

जयपुर, 12 मार्च (हि.स.)। होलिका दहन में इस बार भद्रा का साया रहेगा। दिन भर भद्रा रहेगी। ऐसे में गुरुवार को भद्रा निशीथ (अर्द्धरात्रि) समय 12:36 बजे से पूर्व ही समाप्त हो रही है। इसलिए भद्रा के बाद रात्रि 11:28 से रात्रि 12:15 बजे के मध्य होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत होगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना शास्त्रोक्त बताया गया है। फाल्गुन पूर्णिमा गुरुवार, 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे से पूर्णिमा प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 14 मार्च, शुक्रवार को दोपहर के 12:25 तक रहेगी। इसलिए प्रदोष काल में पूर्णिमा केवल 13 मार्च, गुरुवार को ही रहने से होली पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा यदि निशीथ समय अर्थात अर्द्धरात्रि के समय से पहले समाप्त हो जाती है तो भद्रा समाप्ति पर ही होलिका दहन करना चाहिए। इस वर्ष भद्रा भूमि लोक (नैऋत्य कोण) की होगी, जो कि सर्वथा त्याज्य है। 13 मार्च को भद्रा भूमि लोक (नैऋत्य कोण) सुबह 10:36 से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 11:27 तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन इसके बाद ही होगा। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रात्रि 11:31 बजे गोकाष्ठ से होलिका दहन किया जाएगा।

मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में संतों-महंतों की उपस्थिति में होलिका दहन होगा। सेवाधारी मानस गोस्वामी ने बताया कि रात्रि 11 बजे मंदिर में गणपत्यादि देवों का पूजन-अर्चन और हवन होगा। ठीक 11:31 पर होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद आम जन होली ले जाकर अपने चौराहों, मोहल्लों में होलिका दहन करेंगे। सुबह दस बजे आम जन होली का पूजन कर सकेंगे।

शुभ मुहूर्त में पोई ढाल:

होली के लिए बुधवार को शुभ मुहूर्त में ढाल (जेल पाणी) पोई गई। भद्रा नहीं होने के कारण लोगों ने पूरी दिन भर ढाल पोई। जिन घरों में होली के दिन ही ढाल पोने की परंपरा है उहें 13 मार्च को सुबह 10:36 के पूर्व (भद्रा के पहले) ही ढाल पो लेनी चाहिए क्योंकि उसके बाद रात्रि 11:27 तक भद्रा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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