पचास लाख खर्च करके डंकी से अमेरिका गए सोनीपत के अंकित ने एक माह काटी जेल
- Admin Admin
- Feb 06, 2025
![](/Content/PostImages/DssImages.png)
-अवैध रास्ते से अमेरिका पहुंचे अंकित
की दर्द भरी दास्तान
सोनीपत, 6 फ़रवरी (हि.स.)। सोनीपत
के गांव फरमाना निवासी अंकित तीन महीने बाद अमेरिका से अपने घर लौटा है। उसने अमेरिका
जाने के लिए डंकी रूट का खतरनाक सफर तय किया। एजेंट ने उसे टूरिस्ट वीजा पर भेजने का
वादा किया था, लेकिन बाद में उसे अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचाया गया। बॉर्डर पार करते
समय अमेरिकी पुलिस ने उसे पकड़ लिया और 31 दिन तक जेल में रखा।
फरमाणा
निवासी अंकित का परिवार खेती-बाड़ी करता है और उसके पिता की मृत्यु ढाई साल पहले हो
चुकी थी। अमेरिका से लौटे अंकित ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उसने दिल्ली से पासपोर्ट बनवाया और पांच नवंबर 2024 को अपने
घर से निकला। आठ नवंबर को मुंबई से फ्लाइट पकड़कर एम्स्टर्डम (नीदरलैंड्स) पहुंचा, फिर
वहां से केएलएम फ्लाइट द्वारा पार्ट ऑफ स्पेन और उसके बाद गयाना देश गया। यहीं से उसकी
डंकी यात्रा शुरू हुई। गयाना
से ब्राजील, बोलिविया, पेरू और इक्वाडोर होते हुए वह कोलंबिया पहुंचा। वहां से टापू
कपूर गाना से किश्ती द्वारा पनामा जंगल में प्रवेश किया। जंगल में तीन दिन पैदल और
आधा दिन घोड़े पर सफर करने के बाद पनामा शहर पहुंचा।
इसके बाद वह डेविड सिटी में चार
दिन रुका और फिर कोस्टा रिका गया, जहां पुलिस ने उसे पकड़कर देश से निकाल दिया। निकरागुआ,
होंडुरस, ग्वाटेमाला और मेक्सिको के कई शहरों से गुजरते हुए वह तिजुआना पहुंचा। तिजुआना
बॉर्डर से चार घंटे पैदल चलकर उसने कैलिफोर्निया में प्रवेश किया, लेकिन अमेरिकी बॉर्डर
पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। 31 दिन तक पुलिस कैंप में रहने के बाद उसे भारत भेज
दिया गया। अमेरिका
जाने के लिए अंकित ने लगभग 50 लाख रुपये खर्च किए, जिनमें से 20 लाख गयाना में, 10
लाख निकरागुआ में और 2 लाख तिजुआना बॉर्डर पार करने के दौरान दिए गए। इस यात्रा के
दौरान उसे मानसिक और शारीरिक रूप से यातनाएं झेलनी पड़ीं। अमेरिकी पुलिस ने उसे तीन
दिन तक सोने नहीं दिया, ठंडे कमरों में रखा गया और खाने के लिए बेहद सीमित मात्रा में
भोजन दिया जाता था।
अंकित
ने बताया कि डंकी रूट से हर साल हजारों युवा अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। एक
ग्रुप में 150 से ज्यादा लोग होते हैं, जिनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल,
अफगानिस्तान और चीन के लोग शामिल होते हैं। समुद्र में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की
रफ्तार से नाव चलाई जाती है, जिसमें सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होते। यह सफर मौत से
जूझते हुए पूरा किया जाता है। अंकित की यह दर्दनाक दास्तान उन युवाओं के लिए एक सबक
है, जो अवैध रास्तों से विदेश जाने का सपना देखते हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना