बायो ई3 नीति से मिलेगा जैव विनिर्माण को बढ़ावा : सांसद सिकंदर के सवाल पर जितेंद्र सिंह का जवाब

शिमला, 13 फ़रवरी (हि.स.)। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरूवार को राज्यसभा में सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार के सवाल पर जानकारी दी कि भारत सरकार ने उच्च कार्य निष्पादन जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ‘बायो ई3’ (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति को मंजूरी दे दी है। यह नीति सतत जैव विनिर्माण को प्रोत्साहित कर भारत को जैव-आधारित नवाचारों में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री से सवाल किया था कि क्या सरकार ने जलवायु रोधक्षम कृषि सहित संधारणीय जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय संधारणीयता सुनिश्चित करते हुए आर्थिक विकास का समर्थन करने वाली कोई नीति बनाई है?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त 2024 को दी मंजूरी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त 2024 को बायो ई3 नीति को मंजूरी दी थी। इस नीति का उद्देश्य जैविक प्रणालियों की पुनर्योजी क्षमताओं का लाभ उठाकर सतत समाधान विकसित करना है जो गंभीर वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सहायक होगी। यह पहल हरित विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही ‘नेट जीरो’ अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए जीवनशैली की सरकार की पहलों को भी समर्थन देगी।

जैव विनिर्माण के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे पर जोर

डॉ. सिंह ने बताया कि बायो ई3 नीति के तहत ‘बायोएनेबलर्स’ के रूप में जैव कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) हब, बायोफाउंड्रीज और जैव विनिर्माण हब की स्थापना की जाएगी। यह पहल कृषि क्षेत्र में जलवायु रोधक्षम समाधान विकसित करने के साथ ही अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे, उन्नत सुविधाओं और उपकरणों तक पहुंच को सुनिश्चित करेगी। इसके माध्यम से स्टार्ट-अप, एमएसएमई, उद्योगों और शोध संस्थानों की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे शोध और व्यवसायीकरण में तेजी आएगी।

जैव विनिर्माण की चुनौतियों का समाधान

डॉ. सिंह ने कहा कि जैव विनिर्माण क्षेत्र में विशेषीकृत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता, जटिल विनियामक ढांचे और पारंपरिक विनिर्माण प्रक्रियाओं से प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियां हैं। बायो ई3 नीति इन चुनौतियों को दूर करने के लिए आधुनिक तकनीकी समाधानों को अपनाएगी, जिससे भारत में जैव आधारित नवाचारों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत का कदम

डॉ. सिंह ने कहा, “बायो ई3 नीति का अनुमोदन भारत को जैव-आधारित नवाचारों में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति न केवल हरित विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि ‘नेट जीरो’ अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहायक होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि इस पहल के तहत खोज एवं नवाचार अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोगात्मक कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे प्रयोगशाला से प्रायोगिक और पूर्व वाणिज्यिक स्तर तक विनिर्माण के अंतर को कम किया जा सकेगा।

बायो अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

बायो ई3 नीति के तहत आधुनिक बुनियादी ढांचे और उन्नत सुविधाओं के माध्यम से जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल सतत भविष्य का निर्माण होगा बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। यह पहल भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी, जिससे वैश्विक मंच पर देश की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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