गंगा, नदी नहीं ,मां है और हमारी संस्कृति है -  उमाशंकर पांडेय

कार्यक्रम

-जलवायु परिवर्तन से बदल रहा मौसम का मिजाज

-प्रेरणा विमर्श 2024 के पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर हुआ मंथन

नोएडा,23नवम्बर(हि.स.)। प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वावधान में नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित 'प्रेरणा विमर्श 2024' के अंतर्गत पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता पर देश के मूर्धन्य लेखकों, विचारकों और विद्वानों ने चर्चा कर जलवायु परिवर्तन से प्रभावित वैश्विक पर्यावरण, संस्कारों की कमी से बिखरते कुटुंब और समाज में जाति-धर्म के भेदभाव को दूर करने को समरसता के भाव को लेकर वक्ताओं ने विचार रख समस्याओं पर चिंतन और उनके समाधान रखे।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पर्यावरण विषय माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्या पर मंथन करते हुए मुख्य अतिथि पर्यावरणविद और जल योद्धा उमाशंकर पांडेय ने कहा कि दुनिया में जल का संकट है। हमारे पुरखों ने जो जल जमीन के नीचे पानी संजो कर रखा था, उसे हम भूमि में छेद कर अंधाधुंध जल दोहन कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि पानी बचाएं।

सत्र की मुख्य वक्ता पर्यावरण विज्ञान संकाय, जेएनयू की प्रो. डॉ. ऊषा मीणा ने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होकर उसके समाधानों पर सभी को योगदान देना चाहिए। डॉ. ऊषा मीणा ने कहा कि पर्यावरण के प्रति सजग रहते हुए अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाएं। पर्यावरण के लिए सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि सभी की जिम्मेदारी है सस्टेनेबल लाइफ अपनाकर योगदान दे सकते हैं। सत्र की अध्यक्षता कर रहे अनिल त्यागी ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण को अगर हमने अभी कार्य नहीं किया तो भविष्य में बहुत समस्याएं आएंगी। हमें पूर्वजों की नीतियों पर चलना होगा। संयोजक प्रो. अनिल निगम ने भी पर्यावरण पर अपने विचार रखें। सत्र का संचालन प्रो. पूनम एवं मुक्ता मर्तोलिया ने किया।

दूसरे सत्र में कुटुंब प्रबोधन के अंतर्गत 'परिवार हमारा आधार' विषय पर वक्ताओं ने चिंतन किया। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संघचालक, सूर्य प्रकाश टोंक ने कहा कि जीवन का आनंद उठाना है तो परिवार आनंदमय होना चाहिए। उन्होंने संगठित परिवार के लिए शिक्षा, संस्कार, संगति, एकात्मकता और समाज में परिवार का स्थान जैसे पांच बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए श्रेष्ठ परिवार के पांच सूत्र बताएं। कहा कि मैं से हम की यात्रा परिवार से शुरू होती है।

सत्र के मुख्य वक्ता वरुण गुलाटी ने कहा कि आज हम के स्थान पर मैं का वातावरण दिखाई दे रहा है। वर्तमान में जो सोशल मीडिया पर परोसा जा रहा है वह चिंतनीय है। उत्तर प्रदेश की पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष विमला बॉथम ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपला, गार्गी और अहिल्याबाई जैसी महान विभूतियां ने परिवार धर्म के साथ राजधर्म भी निभाया। संयोजक मनमोहन सिसोदिया ने भी कुटुंब प्रबोधन पर विचार रखें।

तीसरा सत्र सामाजिक समरसता को लेकर केंद्रित रहा। 'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनासि जानताम' विषय पर मुख्य अतिथि मंजुल पालीवाल और लेखक और विचारक और मुख्य वक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने सामाजिक समरसता पर विचार रखें, जबकि वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने सत्र की अध्यक्षता की, डॉ. नवीन गुप्ता और डॉ. सुनेत्री सिंह ने भी मंच पर शिरकत की। संयोजक के रूप में शुभ्रांशु झा रहे।

कार्यक्रम में प्रचार प्रमुख, कृपाशंकर, अध्यक्षा, प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, प्रीति दादू, के अतिरिक्त प्रेरणा विमर्श 2024 के अध्यक्ष अनिल त्यागी, समन्वयक, श्याम किशोर सहाय, संयोजक, अखिलेश चौधरी रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / फरमान अली

   

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