मप्र की हरित और श्वेत क्रांति के लिए मील का पत्थर बनेगी जीआईएस, 4 हजार करोड़ से अधिक के मिले निवेश प्रस्ताव

-भारत को वैश्विक 'फूड बास्केट' बनाने के संकल्प को साकार करने में मप्र निभाएगा अहम भूमिका : मुख्यमंत्रीभोपाल, 03 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश की समृद्ध कृषि परंपरा और सतत विकास की नीति अब वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) भोपाल में निवेशकों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे प्रदेश की हरित और श्वेत क्रांति के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि जीआईएस भोपाल में प्राप्त निवेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को वैश्विक 'फूड बास्केट' बनाने के संकल्प को साकार करने में मध्य प्रदेश अहम भूमिका निभाएगा।

इस संबंध में मुख्यमंत्री की मीडिया में प्रमुख भूमिका निभा रहे शिवम शुक्ल ने सोमवार को बताया कि मध्य प्रदेश पहले ही देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में 40 फीसद योगदान देने वाले राज्य ने अब इस क्षेत्र का विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। सरकार किसानों को निःशुल्क सोलर पंप उपलब्ध करा रही है ताकि वे पर्यावरण अनुकूल तरीकों से उत्पादन कर सकें। राज्य में उद्यानिकी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते वर्षों में बागवानी फसलों का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे राज्य के फल-सब्जी उत्पादकों को भी सीधा लाभ मिलेगा।

मध्य प्रदेश बनेगा दुग्ध उत्पादन का हब-

प्रदेश दूध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 9 फीसद योगदान देने वाला मध्य प्रदेश अब इसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। सांची ब्रांड ने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय बाजार में अपनी मजबूत पहचान बना ली है। प्रदेश में वर्तमान में प्रतिदिन 591 लाख किलो दूध का उत्पादन हो रहा है। इससे प्रदेश देश में तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।

नवाचार और खाद्य प्र-संस्करण में निवेश की बाढ़-

जीआईएस-भोपाल में 'सीड-टु-शेल्फ' थीम पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें निवेशकों ने प्रदेश की अपार संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टरऔर एक लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्र-संस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है। यहां 70 से अधिक बड़ी औद्योगिक इकाइयां और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयाँ पहले ही सक्रिय हैं। इनके जरिए कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सिंचाई परियोजनाओं से होगा कृषि क्षेत्र का विस्तार-

प्रदेश में सिंचित रकबा तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2003 में केवल 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब 50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन, क्षिप्रा, कालीसिंध और तवा जैसी सदानीरा नदियों पर बनी सिंचाई परियोजनाओं से यह लक्ष्य संभव हो सकेगा।

जीआईएस-भोपाल से रोजगार के नए अवसर-

जीआईएस-भोपाल में खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में आये 4,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रदेश में 8,000 से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के बढ़ने से किसान सीधे अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे, जिससे राज्य की आर्थिक मजबूती को और बढ़ावा मिलेगा।

जीआईएस-भोपाल में हरित और श्वेत क्रांति को लेकर मिले निवेश प्रस्तावों ने मध्यप्रदेश को देश का 'फूड बास्केट' बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाने का अवसर दिया है। कृषि, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन में हुए ये निवेश प्रदेश के विकास की नई इबारत लिखने को तैयार हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत

   

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