(केंद्रीय बजट) सरकार लाएगी नया आयकर विधेयक, बीमा क्षेत्र में एफडीआई करेगी 100 फीसदी 

नई दिल्ली, 01 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में रिकॉर्ड 8वां केंद्रीय बजट पेश किया। सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि सरकार अगले हफ्ते एक नया आयकर विधेयक पेश करेगी, जिसमें ‘‘पहले विश्वास करो, बाद में जांच करो’’ की अवधारणा को आगे बढ़ाया जाएगा।

वित्‍त मंत्री ने अपने बजट भाषण में एक अन्य प्रमुख कदम की घोषणा करते हुए कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाएगा। वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए कई सुधारों को लागू किया है, जिसमें ‘फेसलेस’ मूल्यांकन भी शामिल है। सीतारमण ने कराधान सुधारों को विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए प्रमुख सुधारों में से एक बताते हुए कहा कि नया आयकर विधेयक ‘न्याय’ की भावना को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था करदाताओं और कर प्रशासन के लिए समझने में आसान होगी, जिससे कर निश्चितता होगी और मुकदमेबाजी कम होगी।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा करदाताओं के लिए ‘चार्टर’ लाने, ‘रिटर्न’ प्रक्रिया में तेजी लाने और करीब 99 फीसदी आयकर ‘रिटर्न’ स्व-मूल्यांकन पर आधारित होने का भी उल्लेख किया। सरकार ‘‘पहले विश्वास करो, बाद में जांच करो’’ की अवधारणा को आगे बढ़ाने के लिए अगले हफ्ते संसद में नया आयकर विधेयक पेश करेगी। सीतारमण ने कहा कि उम्मीद है कि इस विधेयक से वर्तमान आयकर (आई-टी) कानून सरल हो जाएगा तथा इसे समझना आसान हो जाएगा।

वित्त मंत्री ने तिरुक्कुरल से श्लोक 542 का हवाला देते हुए अपने बजट भाषण में कहा, जिस तरह से जीव बारिश की उम्मीद में जीते हैं, उसी तरह नागरिक अच्छे शासन की उम्मीद में जीते हैं। सुधार लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए सुशासन प्राप्त करने का एक साधन है। उन्‍होंने कहा कि सुशासन प्रदान करने में मुख्य रूप से उत्तरदायी होना शामिल है। सीतारमण ने कहा कि कर प्रस्तावों में विस्तार से बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार ने हमारे नागरिकों की जरूरतों को समझने और उन्हें संबोधित करने के लिए कैसे कदम उठाए हैं।

आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के लिए वित्‍त मंत्री ने बताया कि केंद्रीय बजट घोषणा के अनुसरण में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने समीक्षा की देखरेख करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट व समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। इससे विवाद, मुकदमेबाजी कम होगी और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता मिलेगी। इसके अलावा आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियां स्थापित की गई हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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