बड़े ही धूमधाम से मनाया गया गुरु गोविंद सिंह महाराज 358वां प्रकाश पर्व

कानपुर, 06 जनवरी (हि.स.)। खालसा पंथ के संस्थापक दशमेश पिता साहब गुरु गोविंद सिंह का 358वां पावन प्रकाश उत्सव साेमवार को श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मनाया गया। मोतीझील में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने माथा टेकने के बाद प्रसाद रूपी लंगर चखा।

गुरू सिंह सभा कानपुर के तत्वाधान में एवं सभी सिख संगठनों, गुरुद्वारा कमेटियों व समूह साध संगत के सहयोग से श्री गुरू गोविंद सिंह जी का पावन प्रकाश उत्सव मनाने के लिए सभी धर्मों एवं वर्गों के लोगों ने मोतीझील के विशाल पंडाल में भव्य आसन पर विराजमान गुरू ग्रन्थ साहिब के समक्ष शीश निवाने के साथ साथ गुरुवाणी कीर्तन एवं गुरुवाणी विचार से निहाल हो गुरू के अतुट लंगर ग्रहण किए। श्री दरबार साहिब अमृतसर के साबिका ग्रंथी ज्ञानी मान सिंह ने गुरू गोबिंद सिंह जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धर्म के बिना जीवन यात्रा अधूरी ही नहीं बल्कि असंभव है, सच का मार्ग धर्म से ही प्राप्त होता है, क्योंकि धर्म मनुष्य का मार्ग दर्शन करता है। आगे कहा कि गुरु जी ने मनुष्य को सामाजिक कुरीतियों से ऊपर उठाने के लिए सर्व साझे धर्म की स्थापना की।

मुख्य पंडाल के बाहर स्त्री पुरुषों के लिए बनाए गए अलग-अलग लंगर पंडालों में लाखों लोगों ने एक पंगत एक संगत को दर्शाते हुए सभी धर्मों एवं वर्गों के श्रद्धालुओं ने बिना किसी भेदभाव के लंगर चखा। इस अवसर पर रक्तदान शिविर भी लगाया गया, जिसमें लगभग 100 यूनिट से ज्यादा रक्तदाताओं ने रक्तदान किया। गुरू पर्व समारोह की समाप्ति अरदास से हुई अरदास में सरबत के भले के प्रार्थना के साथ गुरुपर्व के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने का शुक्राना अदा किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / Rohit Kashyap

   

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