गुरुग्राम: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में कृष्णा का अचार बना है आकर्षण का केंद्र

अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2024:

गुरुग्राम: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में कृष्णा का अचार बना है आकर्षण का केंद्र

-अचार बेचकर फर्श से अर्श तक पहुंची है कृष्णा यादव

-अकेले सफर शुरू करने वाली कृष्णा 1000 से अधिक परिवारों का सहारा बनीं

गुरुग्राम, 26 नवंबर (हि.स.)। फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करने वाली गुरुग्राम की कृष्णा यादव आज अचार का काराेबार करके 1000 से अधिक परिवारों का सहारा बन चुकी हैं। अपने पुरुषार्थ और बुलंद हौंसलों से कृष्णा ने मजबूत से कदम आगे बढ़ाए। दिल्ली में चल रहे 43वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में श्री कृष्णा पिकल्स इस हरियाणवी महिला की सफलता की कहानी कह रहा है। रोज लाखों लोग इसके गवाह बन रहे हैं। गुरुग्राम के बजघेड़ा में कृष्णा यादव ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर चार फैक्ट्री लगाई हैं। साथ ही ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का भी वे काम कर रही हैं। व्यापार मेले के हरियाणा मंडपम में हरियाणा की समृद्ध विरासत की झलक देखने को मिल रही है। हरियाणा के लघु और कुटीर उद्योग व उनसे जुड़े उत्पाद लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। श्री कृष्णा पिकल्स की मालिक कृष्णा यादव बताती है कि एक समय वह फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करती थी। सब्जी बच जाती थी तो नुकसान हो जाता था। उसने बची हुई सब्जी का अचार बनाना शुरू किया। अचार बनाकर बेचने के लिए सब्जी के साथ ही रखना शुरू किया। उसे पता चला कि पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र उजवा नई दिल्ली में अचार बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। वह वहां से अचार, मुरब्बे, जूस आदि बनाए की ट्रेनिंग लेकर आई। शुरू-शुरू में ग्राहक अचार खरीदने में आना-कानी करते थे तो ग्राहक बनाने के लिए अचार के सेंपल फ्री देने शुरू किए। लोगों को अचार पसंद आने लगा। अचार की मांग बढऩे से अब अकेले इतना अचार बनाना मुश्किल होने लगा तो आस-पास की महिलाओं को भी इस काम में शामिल किया।

अचार से हुई शुरुआत अब 152 प्रोडक्ट तक पहुंची है

कृष्णा यादव के मुताबिक उनका शुरू से फोकस शुद्धता और हाईजीन पर अधिक रहा। देखते ही देखते हमारे बनाये सामान की मांग इतनी बढ़ गई कि घर छोटा पडऩे लगा। तब गुरुग्राम में एक छोटी फैक्ट्री शुरू की। अचार से शुरू हुई ये कहानी आज 152 तरह के प्रोडक्ट जैसे अचार, मुरब्बे के साथ-साथ जूस, जेली, चटनी और जैम तक जा पहुंची है। मात्र 500 रुपये से अचार के कारोबार की शुरुआत करने वाली कृष्णा आज चार फैक्टरी की मालकिन है। वह बताती है कि वह पढ़ी लिखी नहीं है , लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई हर हाल में जारी रखी। खाली समय में उन्होंने अपने बच्चों से हिसाब किताब करना सीखा। फैक्ट्री में प्रोडक्शन का सारा काम वे खुद ही संभालती हैं। उनके पति ऑफिस का काम और बेटे दुकान, मेले और प्रदर्शनी का काम देखते है। सफलता के इस सफर की शुरुआत कृष्णा ने भले ही अकेले शुरू की हो, लेकिन आज वह 1000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ चुकी हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर हरियाणा

   

सम्बंधित खबर