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नई दिल्ली, 3 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि डेयरी क्षेत्र देश के विकास को गति देने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में डेयरी क्षेत्र में सभी संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।
केंद्रीय मंत्री शाह नई दिल्ली के भारत मंडपम में डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी विषय पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान अमित शाह ने डेयरी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सर्कुलरिटी पर आधारित मार्गदर्शिका का विमोचन किया। यह मार्गदर्शिका जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने, मृदा स्वास्थ्य सुधारने और डेयरी किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए जकरियापुर मॉडल, वाराणसी मॉडल, और बनास मॉडल पर मार्गदर्शन प्रदान करती है। राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन भी मौजूद रहे।
अमित शाह ने कहा कि हमारा डेयरी क्षेत्र देश के विकास को गति देता है लेकिन साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों, भूमिहीन किसानों और छोटे किसानों को समृद्ध बनाने में भी इसका बहुत बड़ा योगदान है। यह हमारे देश के पोषण का ध्यान रखता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे सामने दो लक्ष्य रखे हैं, जिनमें दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी क्षेत्रों की संभावनाओं के शत प्रतिशत दोहन की पद्धति विकसित करनी होगी।
उन्होंने कहा कि हम श्वेत क्रांति दो की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी का महत्व बहुत बढ़ जाता है। श्वेत क्रांति एक में जो हमने हासिल किया है उसमें सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी को हासिल करना शेष है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की कृषि व्यवस्था एक तरह से छोटे किसानों पर आधारित है, इसलिए हमारे पास डेयरी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। बहुत कम विकल्प हैं, और मेरा मानना है कि यह सेमिनार डेयरी क्षेत्र में सभी संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने में सहायक होगा। शाह ने कहा कि पिछले दस वर्षों में हमने खेती में खुशहाली की दिशा में एक आशाजनक शुरुआत की है। गांव से वैश्विक स्तर पर जाने का साहस बढ़ा है और नई पद्धतियां विकसित हुई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक समूह के रूप में सफल होने का आत्मविश्वास सहकारी समितियों के माध्यम से बढ़ रहा है और पूरी श्रृंखला खेत से कारखाने तक ग्रामीण परिदृश्य के भीतर ही रहनी चाहिए।
मंत्री ने डेयरी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सर्कुलरिटी में कुछ विषयों को जोड़ने के साथ ही एनडीबीबी और नाबार्ड को छह माह में प्रायोगिक योजना को किसी न किसी जिले में लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जैविक खाद का शत प्रतिशत दोहन करने के लिए जिला के दुग्ध संघ और ग्रामीण डेयरी को क्षेत्र के सभी किसानों के गोबर का प्रबंधन करना चाहिए।
बायोगौस के उत्पादन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दो साल का लक्ष्य तय करके 250 जिलों के जिला उत्पादक संघ में कोई न कोई मॉडल सफलता पूर्वक करने का समयबद्ध कार्यक्रम करना चाहिए।
मंत्री ने गुजरात के बनासकांठा और पंचमहल में माइक्रो एटीएम के प्रयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पशुपालकों को काफी लाभ मिला है। उन्होंने नाबार्ड से इस मॉडल को प्रत्येक जिला संघ तह पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार