परिवार नियोजन सेवाओं को सुदृढ़ बनाएं, प्रत्येक सेवा की करें रिपोर्टिंग

निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों के साथ स्वास्थ्य विभाग ने किया संवादनिजी क्षेत्र के चिकित्सालयों के साथ स्वास्थ्य विभाग ने किया संवादनिजी क्षेत्र के चिकित्सालयों के साथ स्वास्थ्य विभाग ने किया संवाद

निजी क्षेत्र में चल रहे परिवार नियोजन सेवाओं की मजबूती के लिए हुआ संवेदीकरण

गोरखपुर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। निजी क्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाने के सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग ने एक निजी होटल में शुक्रवार की देर शाम तक निजी अस्पतालों के साथ संवाद किया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक के दौरान सेवाओं की मजबूती के लिए संवाद हुआ। डॉ चौधरी ने निजी अस्पतालों से अपील की कि वह परिवार नियोजन की सेवाओं को सुदृढ़ बनाएं और प्रत्येक सेवा की रिपोर्टिंग अवश्य करें। इस संवेदीकरण बैठक का आयोजन स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया की मदद से किया गया। इस मौके पर परिवार नियोजन संबंधी कई संदेशात्मक वीडियो भी दिखाए गए।

बैठक के दौरान पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि आकृति ने निजी क्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम की स्थिति पर प्रकाश डाला। प्रस्तुति के माध्यम से बताया गया कि राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच (2019-21) के अनुसार एक बच्चों वाली 36 फीसदी आर्थिक तौर पर सक्षम महिलाएं विभिन्न सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों और दवा की दुकानों पर जाती हैं। इस आबादी को परिवार नियोजन की विभिन्न सेवाओं से उनकी पसंद के अनुसार जोड़ा जा सकता है। इसमें निजी अस्पतालों की अहम भूमिका हो सकती है।

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि प्रसव पूर्व और प्रसवकालीन सेवा लेने के लिए निजी क्षेत्र के अस्पतालों में बड़ी संख्या में दंपति आते हैं। चिकित्सक का उन पर गहरा प्रभाव होता है और गर्भधारण के दौरान परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति उनके द्वारा ग्राह्यता की संभावना कहीं अधिक होती है। ऐसे दंपति को समझाना होगा कि दो बच्चों में कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए। ऐसा करने से मां और बच्चे की सेहत ठीक रहती है और दोनों का कुपोषण व बीमारियों से बचाव होता है। ऐसे दंपति को परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में जानकारी दी जाए और जो मनपसंद साधन उनके द्वारा चुना जाए प्रसव के तुरंत बाद उसे लाभार्थी को दिया जाए। ऐसे दंपति का रिकॉर्ड भी रखा जाए और उसे स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा किया जाए। जिन दंपति का परिवार पूरा हो जाए उन्हें प्रसव पश्चात नसबंदी के फायदे के बारे में भी बताया जाए।

इस दौरान एचएमआईएस पोर्टल पर समय से रिपोर्टिंग, परिवार नियोजन रजिस्टर और हौसला साझेदारी भुगतान की प्रक्रिया के प्रति भी संवेदीकरण किया गया। इस मौके पर सर्जन डॉ धनंजय चौधरी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद, मंडलीय शहरी स्वास्थ्य समन्वयक डॉ प्रीति सिंह, जिला शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, मनीष, विजय और पीएसआई इंडिया संस्था से प्रियंका सिंह प्रमुख तौर पर मौजूद रहीं।

रजिस्टर रखें मेंटेन

डॉ चौधरी ने कहा कि फैमिली प्लानिंग रजिस्टर में निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता अपना रिकॉर्ड मेंटेन करें और उसे ही स्वास्थ्य विभाग को पोर्टल के जरिये भी भेजें। रजिस्टर में चार साल तक का रिकॉर्ड रखा जा सकता है। साझा किये गये डेटा की मदद से सरकार को कार्ययोजना बनाने में मदद मिलती है। दंपति को यह संदेश अवश्य दिया जाए कि इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल कम से कम करना है । बच्चे की चाहत न रखने वाले दंपति आईयूसीडी, कंडोम, छाया, अंतरा, माला एन जैसे किसी न किसी साधन का इस्तेमाल अवश्य करें।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

   

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