ड्रिप सिंचाई व सौर ऊर्जा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक :बीआर कम्बोज
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- Feb 06, 2025
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हकृवि में जलवायु परिवर्तन पर कार्यक्रम आयोजितहिसार, 6 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित कृषि-मौसम विज्ञान अनुसंधान परियोजना के तहत जलवायु परिवर्तन विषय पर एक दिवसीय किसान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम में किसानों को जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के उपायों के बारे में जानकारी दी गई।कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने गुरुवार को बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके कारण बाढ़, सूखा, कृषि संकट, खाद्य सुरक्षा और बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है जिससे फसलों के उत्पादन में भी गिरावट आने की संभावना है। वायुमंडल का तापमान बढ़ने से विभिन्न फसलों के उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गेहूं, सरसों, जौ और आलू सहित विभिन्न फसलों को कम तापमान की आवश्यकता होती है जबकि तापमान का बढऩा उनके लिए हानिकारक होता है, अधिक तापमान बढ़ने से मक्का, ज्वार और धान आदि फसलों का क्षरण (नाश) हो सकता है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होने से वर्षा में भी कमी आ जाती है। कार्बनडाइऑक्साइड, कीट एवं रोगों में भी जलवायु परिवर्तन के कारण वृद्धि होती है। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि वर्षा जल के उचित प्रबंधन, जैविक एवं मिश्रित, कृषि फसल उत्पादन में नई तकनीक का विकास तथा जलवायु स्मार्ट कृषि के तहत निर्धारित मापदंडों को अपनाकर जलवायु परिवर्तन को कृषि के क्षेत्र में कम किया जा सकता है। छात्र कल्याण निदेशक व मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर समय-समय पर किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यशाला में डॉ. अनिल कुमार, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, डॉ. चंद्रशेखर डागर ने भी जलवायु परिवर्तन के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर कुलसचिव सहित सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, वैज्ञानिक व कर्मचारी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर