आईसीएमआर ने भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी : नड्डा

नई दिल्ली, 14 नवंबर (हि.स.)। स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (डीएचआर-आईसीएमआर) ने गुरुवार को सुषमा स्वराज भवन में स्वास्थ्य अनुसंधान उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वीडियो संदेश के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि आईसीएमआर बायोमेडिकल अनुसंधान में सबसे आगे रहा है और कुछ सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। तपेदिक, मलेरिया और सीओवीआईडी -19 जैसी संक्रामक बीमारियों से निपटने से लेकर गैर-संचारी रोगों, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और पोषण संबंधी विकारों के समाधान को आगे बढ़ाने तक- आईसीएमआर ने भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आईसीएमआर को बधाई देते हुए कहा कि आईसीएमआर अपने स्थापना दिवस के वार्षिक उत्सव के दौरान अनुसंधान उत्कृष्टता को मान्यता देने की इस परंपरा को जारी रखेगा और एक स्वस्थ और मजबूत भारत बनाने के अपने मिशन में आगे बढ़ेगा।

शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि देश के जैव चिकित्सा और वैज्ञानिक क्षेत्रों में योगदान के शानदार इतिहास के साथ, आईसीएमआर लंबे समय से भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने में अग्रणी रहा है। सरकार विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है। अनुसंधान और नवाचार में डीएचआर-आईसीएमआर का नेतृत्व, अपने एक्स्ट्रामुरल और इंट्रामुरल कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल में परिवर्तनकारी प्रगति को आगे बढ़ा रहा है। भारत का वैज्ञानिक परिदृश्य तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि आज का दिन एक स्वस्थ, अधिक समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हमारे शोधकर्ताओं के अमूल्य योगदान को पहचानने का एक उपयुक्त क्षण है।

शिखर सम्मेलन में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल और सचिव डीएचआर एवं महानिदेशक आईसीएमआर, डॉ. राजीव बहल भी मौजदू रहे।

सम्मेलन में आईसीएमआर के इतिहास पर आधारित पुस्तक का भी विमोचन हुआ, जिसमें भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में आईसीएमआर की एक सदी से अधिक की उपलब्धियों और योगदान का विवरण है। इसके साथ ही, बौद्धिक संपदा नीति, सीएसआर फंड और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर नए दिशा-निर्देश पेश किए गए, जिससे नवाचार को बढ़ावा देने, सहयोग को प्रोत्साहित करने और संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने के लिए एक मजबूत ढांचा स्थापित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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