आउटसोर्स कर्मियाें की अनिश्चितकालीन हड़ताल, भाजपा ने सरकार को घेरा

शिमला, 03 जनवरी (हि.स.)। राजधानी शिमला स्थित प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में 500 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी शुक्रवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन ने 132 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं एक जनवरी से समाप्त कर दी हैं। यह कर्मचारी पिछले चार वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे थे और कोविड महामारी के दौरान इन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अब इनकी सेवाएं समाप्त करने के बाद अन्य कर्मचारी विरोध स्वरूप हड़ताल पर चले गए हैं।

आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र लाल ने बताया कि 132 कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया, जबकि वे लंबे समय से अस्पताल में सेवा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ये सफाई कर्मचारी, वार्ड अटेंडेंट और डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं। निकाले गए कर्मचारियों को बहाल किए बिना हड़ताल खत्म नहीं होगी। हड़ताल के बावजूद इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रूप से जारी हैं।

निकाली गई एक महिला आउटसोर्स कर्मचारी ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत से ज्यादा महिला कर्मचारी हैं। जिनकी रोजी-रोटी इसी नौकरी पर निर्भर थी। अब हम अपने परिवारों को पालने में असमर्थ हो गए हैं। यह स्थिति प्रशासन की असंवेदनशीलता को दर्शाती है।

भाजपा ने साधा सरकार पर निशाना

इस मामले में भाजपा ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने इसे सुक्खू सरकार की असंवेदनशीलता और तानाशाही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह वही सरकार है जिसने चुनाव से पहले एक लाख सरकारी नौकरियां देने की गारंटी दी थी। अब वही सरकार छोटे कर्मचारियों को बेरोजगार कर रही है। इन कर्मचारियों ने कोविड काल में अपनी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद की थी। उन्हें इस तरह बाहर का रास्ता दिखाना अन्यायपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां सरकार अपने चहेते रिटायर अधिकारियों को बड़े पदों पर दोबारा नियुक्त कर रही है, वहीं मेहनतकश कर्मचारियों को बेरोजगारी की ओर धकेला जा रहा है। यह सरकार की दोहरी मानसिकता और जनविरोधी नीति को दर्शाता है।

जम्वाल ने चेतावनी दी कि अगर कर्मचारियों की सेवाएं बहाल नहीं की गईं, तो प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार की विफलता का उदाहरण है। पार्टी प्रभावित कर्मचारियों के समर्थन में सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेगी। सरकार को जल्द से जल्द इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

सरकार की नीतियों पर सवाल

भाजपा ने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार स्वास्थ्य जैसे अहम विभाग में लापरवाही बरत रही है। उन्होंने कहा कि यह वही सरकार है जिसने बिजली और अन्य विभागों में भी आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह अपने लोगों को नियुक्त किया है। यह निर्णय जनविरोधी और भेदभावपूर्ण है और इससे प्रदेश के आम नागरिकों और कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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