हिसार : खेलों में पेशेवर दक्षता के साथ-साथ पारस्परिक कौशल का होना भी आवश्यक : डॉ. विजय कुमार

पारस्परिक कौशल व पेशेवर दक्षता विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

हिसार, 11 फरवरी (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के कुलसचिव डा. विजय कुमार ने कहा है कि खेलों में पेशेवर दक्षता के साथ-साथ पारस्परिक

कौशल का होना भी आवश्यक है। खिलाड़ियों के साथ-साथ, प्रशिक्षक तथा सहायक स्टाफ का कौशल

भी खेल में परिणामों को प्रभावित करता है।

कुलसचिव डा. विजय कुमार मंगलवार को खेल निदेशालय द्वारा पारस्परिक कौशल व पेशेवर

दक्षता विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। खेल प्रशिक्षकों,

कार्यालय कर्मचारियों और सहायक स्टाफ के लिए पारस्परिक कौशल व पेशेवर दक्षता को सुधारने

के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली

के मनोचिकित्सा विभाग से प्रतिष्ठित मनोचिकित्सक प्रो. दिनेश कटारिया रहे। कार्यशाला

में कुलपति के तकनीकी सलाहकार प्रो. संदीप राणा व मनोविज्ञान विभाग के प्रो. राकेश

बहमनी विशेष आमंत्रित वक्ता रहे जबकि अध्यक्षता खेल निदेशालय के डीन प्रो. मनीष कुमार

ने की।

कुलसचिव डा. विजय कुमार ने कहा कि खिलाड़ी का खेल के मैदान में प्रदर्शन खेल

के मैदान के बाहर खिलाड़ी के आसपास होने वाली गतिविधियों से भी निश्चित तौर पर प्रभावित

होता है। ऐसे में खिलाड़ी तथा टीम को सकारात्मक वातावरण उपलब्ध करवाना अत्यंत आवश्यक

है। खेल केरियर में सफलताएं हासिल करने के लिए पेशेवर कौशल के साथ-साथ खिलाड़ी में अनुशासन,

निष्ठा तथा नैतिक बल का होना भी आवश्यक है। खेल व्यवस्था से जुड़े सभी संस्थानों, पदों

और व्यक्तियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि खेलों में पारस्परिक तथा पेशेवर कौशल में

वृद्धि करने के लिए कार्य करें।

डा. दिनेश कटारिया ने अपने संबोधन में कहा कि खेल में बेहतर परिणामों के लिए

आवश्यक है कि खिलाड़ी तथा प्रशिक्षक अपने गुस्से और तनाव पर नियंत्रित रखें। अचानक प्रतिक्रिया

देने से बचें। क्षणिक गुस्सा यदि बाईपास कर दिया जाए तो व्यवस्थाएं बेहतर हो जाएंगी।

समय और परिस्थिति के अनुसार हर व्यक्ति के सामने अलग-अलग समस्याएं व चुनौतियां आती

रहती हैं। हमें उनका सामना करना आना चाहिए। उन्होंने गुस्से और तनाव को नियंत्रित करने

की मनोवैज्ञानिक विधियां भी बताई।

प्रो. संदीप राणा ने अपने संबोधन में कहा कि सकारात्मक सोच से सकारात्मक ऊर्जा

का संचार होता है। बेहतर परिणामों के लिए आवश्यक है कि हम शारीरिक के साथ-साथ मानसिक

रूप से भी सुदृढ़ बनें। उन्होंने प्रशिक्षकों से कहा कि वे खिलाड़ियों के व्यवहार को

समझकर उनकी परिस्थितियों व समस्याओं का अंदाजा लगाने का प्रयास करें तथा उनका समाधान

करें।

प्रो. राकेश बहमनी ने कहा कि अधिकतर समस्याएं गलतफहमी, अहंकार और पूर्वाग्रह

के कारण उत्पन्न होती हैं। सही संवाद तकनीकों के माध्यम से इन समस्याओं को कम किया

जा सकता है।उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला न केवल कर्मचारियों के व्यावसायिक जीवन बल्कि

उनके व्यक्तिगत जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाएगी।

प्रो. मनीष कुमार ने कहा कि खेल जगत में कार्यरत पेशेवरों को युवाओं और किशोरों

से संवाद स्थापित करना पड़ता है। यदि हमारे संवाद कौशल बेहतर होंगे, तो अधिकांश समस्याओं

का समाधान मौके पर ही किया जा सकता है।सहायक निदेशक मृणालिनी नेहरा ने इस अवसर पर कहा कि संवाद कौशल में सुधार से

न केवल हमारे कार्यस्थल का वातावरण सकारात्मक बनेगा, बल्कि यह खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों

के बीच आपसी समझ भी मजबूत करेगा। कार्यशाला में खेल प्रशिक्षकों, सहायक निदेशक-कम-कोच,

हेल्पर, ग्राउंड्समैन और प्रशासनिक कर्मचारियों सहित कुल 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन नेहा यादव ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

सम्बंधित खबर